5 खिलाड़ी कविताएँ
1. घुल गई जहर ऐसे जनसमूह से भीड़ से कोरोना ने बरपाए कहर, अंश-हर ! शहर-शहर, या गाँव-जवर ! घुल
Read More1. घुल गई जहर ऐसे जनसमूह से भीड़ से कोरोना ने बरपाए कहर, अंश-हर ! शहर-शहर, या गाँव-जवर ! घुल
Read More1. रंगभेद लड़कियाँ और लड़के ‘रंग’ देखकर ही प्यार करते हैं, फिर भी हम और संविधान जोर देकर कहते हैं-
Read More1. अजर अमर जो दिखाई देती है, उसे नश्वर देह कहते हैं ! जो दिखाई नहीं पड़ती है, उसे अजर
Read Moreवह पल फिर लौट के आएगा , नेह की गङ्गा धरा पर लाएगा , हर आँगन बगिया बन महकेगा, स्वर्ग
Read Moreमिल गया समय मुझे सोचा कुछ गुफ्तगू कर लूं बैठ जाऊँ उसके साथ मैं और नई इबारत लिख दूं।। ले
Read Moreकिसको कहते हो तुम अपना इस धरती पर कौन है अपना ? महलों में रहने वालों के अपने तो सपने
Read Moreसुनो! तुमने कहा एक बार ही सही विश्वास तो करो….. और हमने इस पर संदेह किया… सुनो! तुमने कहा एक
Read Moreजिंदगी जीने के लिए संगत का असर देखा संक्रमण का उन्माद देखा जो उनसे दूर रहा जिंदगी को ज्यादा जिया
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