हे श्रम वीरो तुम्हें मेरा नमन
ये धरती माँ अपनी, श्रमिक है इनका श्रृंगार। इन श्रम वीरों के श्रम शक्ति को मेरा नमन है बारम्बार।। प्रगति
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Read Moreआए हैं अलग रहते थलग, जाएँगे विलग; सहचर हैं रहे सूक्ष्म काल, संचरी सुमग ! सौंदर्यवान सुभग धरा, रहत हमरे
Read Moreपपीहा की पियू पियू सायं सायं चलती हवाएं पेड़ों का टूट टूट बिखरना हवा की ठंडक आसमां में धमा चोकड़ी
Read Moreएक रिश्ता जो तारीख से उपजा कैलेंडर पर बड़ा हुआ समय के साथ उम्रदराज़ हुआ एक रिश्ता जो मन की
Read Moreस्याह है, रात है कोई तो बात है अंधेरों को चीरती सन्नाटों को घेरती कैसी आवाज है ? सिसक रहा
Read Moreबादलों की ओट कराती पल-पल इंतजार लगता चंद्रमा के रुख पे डाल रखा हो बादलों ने नकाब । इंतजार के
Read Moreरुख हवाओ का मोड़ने, गुरुर आंधियो का तोड़ने निकला हूँ, धार कलम की तेज किये , मै देश बदलने निकला
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