कितने जटिल हैं कुछ लोग
कितने जटिल हैं कुछ लोग, जो अब भी नहीं सुधर रहे, ग़मगीन हालातों में भी, मनमानी करने से नहीं डर रहे, समय
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Read Moreकोरोना के नाम पाँच-पाँच लॉक और डाउन, साँच को ना-ना आँच ! ×××××× लॉकडाउन 5.0 में ढील के साथ ढाल
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की कविताएँ 1. पुंडरीकाक्ष कौन ? ‘मङ्गलम भगवान विष्णु, मङ्गलम गरुड़ध्वज; मङ्गलम पुण्डरीकाक्ष:, मंगलाय तनोsहरि:!’ के शब्दार्थ
Read Moreउड़ने दो मन को, अनंत आवरण में समन्वित रूप में अपना कुछ बनने दो, विचारों के जग में एकता हमारी
Read Moreमन के दशरथ को संभाल ले ! दिख जाए जिस दिन सफेदी ठान ले ! तन के दशरथ की लगाम
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