इस घड़ी ने …घड़े की
इस घड़ी ने घड़े की, कीमत बता दी। जो लोग… मिट्टी से टूट चुके थे। मिट्टी ने , आज अपनी
Read Moreइस घड़ी ने घड़े की, कीमत बता दी। जो लोग… मिट्टी से टूट चुके थे। मिट्टी ने , आज अपनी
Read Moreमरुस्थल सा जीवन है मेरा,पूर्णतया निराशा भरा, फिर भी कभी-कभी कुछ ओश की बूंदों से मिलता हूँ। सोचता हूँ
Read Moreआँचल की मृदुल हवा से खुशियां हम सबको देती है। नेह लुटाती जीवन भर क्या बदले में कुछ लेती है।
Read Moreबचपन का नाम तात्या वीर बहुत पराक्रमी, बाजीराव के वंश का सिंह वह निराला था। छोटा था उम्र में पर
Read Moreये प्रेम नहीं कोई खेल प्रिये, यह तो मर्यांदित बन्धन हैं। तुम हृदय में कुंठा मत पालों , मैं तुलसी
Read Moreआज लिखने जैसा कुछ भी नहीं पर सोच है कि रुकती नहीं मैं सोचता हूं… लाचार, बीमार- शब्द उभरता है
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की कविताएँ….. 1. जाति जो नहीं जाती ! जाति एक कुप्रथा है ! ‘मानव धर्म’ ही सच्चा
Read Moreकल एक कवि मित्र को फोन कियाउसने ढँग से रिस्पांस ही नहीं दियामैंने पूछा-क्या झगड़ा हो गया है किसी सेवो
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