हाउसवाइफ
हां मैं सिर्फ एक हाउसवाइफ ही तो हूँ समाज की नजरों में जिसका कोई वजूद नहीं । सपनों को आंखों
Read Moreन जाने क्या था उन आंखों में समझ नही पाई अभी इंसानो की भाषा समझ रही थी वो हैवानियत की
Read Moreबेटी ही धन है बेटी है तो जन है बेटी है तो मान है बेटी है तो आप भाग्यवान है।
Read Moreन जाने कैसे — गैरों की बातें सुन कर वो नादानी में इतना बहक गए , बड़ने लगे जब वो
Read Moreकैनवास पर रंगों को सजाने चाहती हूं, मगर रंग नही सजते अब ये कैसा इत्तफाक है तेरा आना, और रंगों
Read Moreयूँ तो दोस्त ही था वो मेरा मगर वो था बिल्कुल फोटोफ्रेम मैं कहती थी, कहती ही रहती थी उसका
Read Moreदीवारें कोई दिखती सी कुछ अनदेखी कोई रीति रिवाजों की तो कभी अपने ही मन की मकानों की दीवारें तो
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