होली पर एक रचना
इन्द्र्धनुष के रंगों जैसा, मुझको रंग दो, होली के रंगों को, सतरंगी कर दो। राग-द्वेष, बैर-भाव, नफ़रत जड़ से मिटाकर,
Read Moreइन्द्र्धनुष के रंगों जैसा, मुझको रंग दो, होली के रंगों को, सतरंगी कर दो। राग-द्वेष, बैर-भाव, नफ़रत जड़ से मिटाकर,
Read Moreहम आत्मिक प्रेम के दीवाने, हम आत्मिक प्रेम के परवाने, हम आत्मिक प्रेम पाना चाहें, आत्मिक प्रेम ही हम देना
Read Moreमुसाफि़र सी इस जिंदगी में जो किसी के साथ चलना जानता है जो साथ चलते-चलते किसी का हो जाना चाहता
Read More।। चुनाव में नेतागण ।। घर-घर, जन – जन से अब मिलने लगे हैं। उठने वाले हाथ तुम्हारे सामने अब
Read Moreप्रेम… उम्र से बढ़कर समय से परे भाषा में कैद नहीं न ही परिभाषा में समाये इतना संवेदनशील कि छुअन
Read Moreदिन-ब-दिन बढ़ती जाती कश्मीर समस्या, अब इसको सुलझाने दो सेना को आगे बढ़ने दो खूब खा लिये पत्थर उनसे, अब
Read Moreसुनहु सखा तुम भ्राता बाली, महाबली था हुआ कुचाली नजर धरी परतिया मवाली, चहत वरण अनुजा बलशाली। सखा सहज कहती
Read Moreतिनका-तिनका जोड़कर घोंसला बनाया सपनों का अंडों से जब बाहर निकले हर चूज़े का पेट भरा प्यार से फिर चिड़िया
Read Moreकश्मीर भारत की आन – बान ,शान है, कश्मीर पर मरता देश का जवान है । केशर की घाटी आज
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