आहा ! प्यार भरी वो बारिश……. सदा याद रहेगी मुझको जी भरकर भींगे थे हम हर लम्हा हर पल जीया था हमने इन्द्रधनुषी सपने जैसा , पर बरसात के मौसम की तरह तुम भी अब गुम हो गए हो कहीं ………. कई मौसम आये गए पर तुम न आये , अब तो बस रह गयी है कुछ […]
कविता
आ गए शुभ नवरात्रे
आ गए शुभ नवरात्रे भक्तो माँ के दरबार में आओ, पाकर माँ का आशीष, अपना जीवन सफल बनाओ, आओ भक्तों आओ, माँ वैष्णो देवी के दरबार , माँ चरणो में शीश झुका के माँ का करो सत्कार, माँ करती हैं अपने सब भक्तो पर उपकार, माँ की शरण में जो आया उसका बेडा पार, माँ […]
~मेरे कृष्ण कन्हैया~
ना कोख में पाला ना ही जन्म दिया , कृष्णा तुने यशोदा को माँ का मान दिया | हर नटखट बाल शरारत को करके, माँ यशोदा को तुने निढाल किया | माँगा चाँद खिलौना, नहीं खाया माखन जताया, खाकर मिट्टी मुख में ही सारा ब्रह्माण्ड दिखाया | फोड़ी मटकी गोपियों की, की माखन चोरी , […]
इतवार
आज सुबह सुबह ही याद आ गया बचपन का वो इतवार आराम से उठना अपनी मनमर्जी के साथ उठते ही मां को अपनी पूरी दिनचर्या बताना क्या क्या मुझे खाना है और क्या पहनना आज ना ही कोई पढाई और ना ही चैनल बदलना बङे रोब से कहती थी मां अपने हाथो से खिलाओ पापा […]
सूरत या सीरत ……
सूरत को निखारने के लिए क्या कुछ नहीं हैं मार्किट में पर सीरत को क्या किसी तरह निखारा जा सकता है कभी भी नहीं कभी नहीं …. नामुमकिन है सूरत तो एक दिन ढल जाएगी पर सीरत है जो सदाबहार रहेगी न तो ये कभी बूढ़ी होगी न ही नष्ट इसका प्रभाव दिलों पर हमेशा […]
दिलों की दूरियाँ
पहले चलती थी पैसेंजर ट्रेन- आवाज आती थी, गाड़ी चलेगी तो पहुंचेगें, फिर आई एक्सप्रेस ट्रेन- यात्री बोले, गाड़ी चली है तो पहुँच ही जाएँगें, फिर आई राजधानी एक्सप्रेस, यात्रीगण बोलें, गाड़ी अभी चले- अभी पहुँचें, जब ममता ने चलाई दुरुंतों एक्सप्रेस, कम हो गयी दूरियाँ शहरों में, अब आएगी बुलेट ट्रेन, लोग बोले, […]
~ गुस्से से गुस्से की तकरार हो गयी ~
गुस्से से गुस्से की हो गयी जब तकरार जिह्वा भी गुस्से की भेंट चढ़ खाए खार द्वेष में बोले एक तो दूजा बोले चार बेचारी जिव्हा हो गई शर्मसार दो कटु वक्ता की आपस में रार हो गयी गुस्से से गुस्से की तकरार हो गयी ………. बकने लगे एक दूजे को उद्धत है अब चढ़ […]
कविता : औरत
बात बात पर क्यूँ औरत को ताङा जाता है हर बात पर क्यू उसकी आत्मा को मारा जाता है क्यू दागे जाते है उस पर ही सब सवाल साध के उसको ही निशाना क्यू बढाते है बवाल उसके मां बाप को भी क्यूं कटघरे मे खङा किया जाता है तानो मे उनको लेकर क्यू अपमानित […]
कविता
चेहरे पर मुखोटे लगाते है वो कहलाते है अपने और सताते भी है वो दिल के करीब रहके यही नसीब कहके दिल के जख्म बढाते है वो नही जान पाते कब दूर हो गये फांसले कब बने क्यू मजबूर हो गये वो भ्रम था हमारा जो चूर हो गया कल तक था जो अजीज अब […]
वह बचपन सुहाना
वह मासूम नादान , वह नटखट ज़माना बहुत याद आये मुझको ,वह बचपन सुहाना | जब थे नन्हे बच्चे , मां की गोद बिछौना बाहों का झूला , वह झुंझने का खिलौना बेफिक्र नींद ,मीठे सपनों की खुमारी थी नन्ही गुड़िया, मां की राजकुमारी टिमटिमाते नीले गगन के तले सुनते हुए मां की लोरी, वो […]