“कुंडलिया”
रानी बैठी रूपिणी, लेकर पींछी साज बादल को रँगने चली, मानों घर का राज मानों घर का राज, नाज रंगों
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Read Moreकविता संघर्ष क्या है? संघर्ष क्या है? संघर्ष जीवन है जो जीवन को जीवंत बने रहने में सहायक
Read Moreकहते थे बनवाएगें पर राम मन्दिर अभी तक बना नहीं, अनुच्छेद 370 हटाएंगे पर अभी तक तो हटा नहीं। विदेशो
Read Moreपान चबाकर पीकों से, चाचा होंठ किये हैं लाल। दाढ़ी संग है मूंछ मुड़ाये, चाचा के हैं चिकने गाल।। चाचा
Read Moreआओ मिलकर याद करें ; कुछ दिल से भी फरियाद करे हम खुश बैठे अपने घर पर; वे सीमाओं पर
Read Moreहिंदू होना आज भारत में पाप हो गया, देश का तिरंगा चंदन को अभिशाप हो गया। देश विरोधी हरकत करने
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