झमझमा – झम बरसे पानी
झमझमा – झम बरसे पानी कहता अपनी अमर कहानी | कहीं बाढ़ है तो कहीं है सूखा अमृत – जहर
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Read Moreदे दूं मैं दोष किसे यह बतलाओ, मिटती मानवता का कारण बतलाओ। अभी-अभी जो जन्मा उसका दोषी कौन, कैसा विकास?
Read Moreसही – सही हो अगर जल प्रबंधन तो न हो हानि जन की – धन की न हो हाहाकार न
Read Moreमेरी रूह तेरे रूह की पैरहन में लिपटे खामोश फ़िज़ा में कुछ इस तरह सिमटे दिल की ख़िलाफ़त एक-एक लम्हें
Read Moreतिरंगा शान है अपनी ————————– तीन रंग से बना तिरंगा ये आत्मा है अपनी तिरंगा शान है अपनी || सीमा
Read Moreमुझमे ही तू है मैं हूँ तुझमे ही समस्त ब्रह्माण्ड ही है हम में ही समाया जग राधा कहे मुझको
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