नशा नाश का कारण होता, तन-मन-धन का करता नाश, आत्मा तक भी बिक जाती है, परिवार का सत्यानाश! मोबाइल भी एक नशा है, सीमित हो इसका उपयोग, आंखें भी धोखा दे जातीं, लग सकते हैं और भी रोग. खुद भी समझें बात पते की, नशा बड़ों का भी छुड़वाएं, नशा मुक्त भारत बनाएं, आओ यह […]
बाल कविता
बालगीत – दो – दो खरहे पाले
मैंने दो – दो खरहे पाले। आधे गोरे आधे काले।। घर भर में वे दौड़ लगाते। दिखते कभी कभी छिप जाते। चिकने बाल सरकने वाले। मैंने दो – दो खरहे पाले।। सुबह सैर को मम्मी जातीं। घास नोंचकर उनको लातीं।। मैं कहता ले खरहे खा ले। मैंने दो – दो खरहे पाले।। कूकर बिल्ली से […]
बादल राजा
बादल राजा आएंगे, ढेरों खुशियां लाएंगे, रिमझिम-रिमझिम बरखा होगी, पंछी गाना गाएंगे. भीग-भीग पेड़ों के पत्ते, और हरे हो जाएंगे, ताल-तलैया जल से भरेंगे, हम झूमेंगे-नाचेंगे.
योग व्यायाम
आओ योग व्यायाम करें, स्वास्थ्य रहें खुशहाल रहें, आयु में होगी वृद्धि, सांसों में संचार करें. योग से योग हो बुद्धि में, योग से सोच में होगा योग, योग से विवेक में योग करें, जीने की उमंग में होगा योग. लेखिका- लीला तिवानी योग के दो अर्थ हैं- 1. योग व्यायाम 2. जोड़ या जुड़ना
बरखा रानी — बाल मुक्तक
ख़ुशी फुहारें लेकर आई बरखा रानी ,मस्त बहारें लेकर आई बरखा रानी ,फूल खिल उठे पत्तों में आया नवजीवन ,हरे नज़ारे लेकर आई बरखा रानी।— महेंद्र कुमार वर्मा
रक्तदान
सुनो राजू, सुनो नंदू सुनो गोलू,भोलू,चंदू । रक्तदान का महत्व बताएं हम मित्र बंधू ।। ए,बी,एबी और ओ चार रक्त वर्ग जानों । इनके दो- दो समूह उनको तुम पहचानों ।। रक्त हैं जीवन आधार बिन रक्त के निराधार । शरीर में बहता रक्त देता हैं ऊर्जा की धार ।। हम करते कई दान सबसे […]
रक्तदान महादान
रक्तदान है महादान, इतनी बात समझ लो, एक बूंद ही जान बचाए, अपने मन में लिख लो. अभी हो छोटे फिर भी, बड़ों को समझा सकते, बड़ा होने पर तुम भी, रक्तदान कर सकते. रक्तदान करने पर बच्चो, हानि नहीं कोई होती, रक्तदान करने वाले की, जय-जयकार है होती.
बचपन
पंख नहीं पर उड़ जाता है। इंद्र धुनुष सा बन जाता है, सात रंगों से भरी है दुनिया हर रंग कितना न्यारा है बचपन कितना प्यारा है भोली सूरत सच्ची सच्ची बिन मांगे सब मिल जाता है हर बच्चा अपने घर का ही होता राज दुलारा है बचपन कितना प्यारा है… मस्त पवन सा उड़ […]
माह जून और स्कूल
बड़ा सुहावना लगता माह जून संग लाता यह अपने मानसून । मौज-मस्ती छोड़ो चलों स्कूल बादलों में छिपे सन और मून ॥ बड़ी अनमोल है पानी की बूंद प्यासों के कंठ तर करता जून । बूंद कहती बच्चों जाओं स्कूल तुम हीं हीं कल के कृष्ण-अर्जुन — गोपाल कौशल भोजवाल
चलो सरकारी स्कूल
चलो पापा चलो स्कूल चलो मम्मी चलो स्कूल आ गया जून का महिना खुल गए सरकारी स्कूल ।। हमारी मंजिल है स्कूल जहाँ खिलते नन्हें फूल । दखिला कराने हमारा चलो सरकारी स्कूल ।। मिलती आनंदमय शिक्षा मिलता भोजन और दूध । मिलती गणवेश,छात्रवृत्ति पाठय पुस्तक नि:शुल्क ।। सीबीएसई पैटर्न से हो रही सरकारी स्कूलों […]