कहाँ चले ओ बन्दर मामा,मामी जी को साथ लिए।इतने सुन्दर वस्त्र आपको,किसने हैं उपहार किये।।—हमको ये आभास हो रहा,शादी आज बनाओगे।मामी जी के साथ, कहींउपवन में मौज मनाओगे।।—दो बच्चे होते हैं अच्छे,रीत यही अपनाना तुम।महँगाई की मार बहुत है,मत परिवार बढ़ाना तुम।—चना-चबेना खाकर, अपनीगुजर-बसर कर लेना तुम।अपने दिल में प्यारे मामा,धीरजता धर लेना तुम।।—छीन-झपट, चोरी-जारी […]
बाल कविता
आओ खेलें नेता-नेता
आओ खेलें नेता – नेता। बनकर कुर्सी – वीर विजेता।। चिकनी- चुपड़ी बातें करके। नोट कमाएँ कमरे भरके।। नेता बस आश्वासन देता। आओ खेलें नेता – नेता।। सीखें पहले देना भाषण। जनता में आए आकर्षण।। ज्यों मादा खग अंडे सेता। आओ खेलें नेता – नेता।। श्वेत बगबगे कपड़े धारें। मन में पैनी छिपा कटारें।। बनें […]
बाल कविता
नटखट बच्चे नटखट खेल कभी झगड़ते करते मेल इधर उधर ये खूब दमकते खेलों का नएं सृजन करते लुका छिपी , पकड़म पकड़ाई कभी कब्बड़ी कभी फुटबॉल तरह तरह के खेल से अपने सबके दिल मन को खूब भाते गोलू मोलू पीहू सब मिल खेल खेल में खूब इतराते दादाजी फटकार लगाते शाम को सब […]
बाल कविता – गुनगुन करता भौंरा आया
गुनगुन करता भौंरा आया फुल कलियों को है रिझाया। चूँ-चूँ करती चिड़िया आईं सुबह का संदेशा ले के आईं। रंग-बिरंगी तितली रानी आई झूम-झूम कर वह नाच दिखाई। फुल-बगीचों में है मुस्काया सबके मन में वह प्रीत जगाया। प्यारी कलियाँ भी मुस्कायी सुंदर रूप अपना है दिखलायी। सर-सर करती हवा भी आई शीतलता का अहसास […]
बाल कविता – जंगल की होली
जंगल के राजा शेर ने एक सभा बुलाई । प्रहलाद की भक्ति होली की बात बताई ।। हम सभी खेलेंगे कल होली लेकर अंगडाई । पर रखना यह ध्यान न हो झगड़े – लड़ाई ।। द्वेषता-नफरत से ही हमेशा मुशीबत आई । रहें जंगल में मंगल तो करों सबकी भलाई ।। — गोपाल कौशल
बाल कविता – बच्चों के रंग
लल्ला के गाल रंग से हुए लाल । गली – गली में मचा रहे धमाल ।। उडा रहें गुलाल लगा रहें गुलाल । चुपके से आ के ये बाल गोपाल।। नटखट नंदलाल खटपट चंटलाल । शरारत निराली हो गए सब लाल ।। दिल्ली – भोपाल रंगीन हुई चौपाल । सौहार्द का संदेश देते बाल गोपाल […]
बाल कविता – रंगपंचमी
प्रेमरंग की बौछार रंगपंचमी सद्भाव की बहार रंगपंचमी । आनंद मय हो जीवन हमारा ऐसी शुभकामना है रंगपंचमी ।। गेर संग निकले फाग यात्रा कान्हा संग निकले है राधा । हर गांव-शहर बना इंद्रधनुषी प्रेमरंग से दूर करें हर बाधा ।। बच्चों की टोली लगे निराली द्वेषभाव से दूर है किलकारी । बुरा न माने […]
बाल कविता – बादल
रुई से नरम बादल कितने अच्छे हैं । धुआं से सफेद बादल बने लच्छे हैं ।। उमड़ – घुमड़ नभ में उड़ते जाते हैं । कभी गरजते रहते, कभी बरस जाते हैं ।। काली -काली घटा अंधेरी बनाकर डराते हैं । बादल प्यासी धरती की प्यास बुझाते हैं ।। कभी रात को तो कभी दिन […]
मिट्ठू
मिट्ठू हूं मैं मीठा बोलूं डाल डाल पर मैं हूं डोलूं लाल चोंच मेरी लगे है प्यारी कंठ मेरे है काली धारी। भाषा कोई हो सीख मैं जाऊं पक्षियों का पंडित मैं कहलाऊं सुन मेरी तोती तूं जीती मैं हारा यही तरु कोटर बनेगा अब घर हमारा ! — अंजु गुप्ता “अक्षरा”
बचपन
पंख नहीं पर उड़ जाता है। इंद्र धुनुष सा बन जाता है, सात रंगों से भरी है दुनिया हर रंग कितना न्यारा है बचपन कितना प्यारा है भोली सूरत सच्ची सच्ची बिन मांगे सब मिल जाता है हर बच्चा अपने घर का ही होता राज दुलारा है बचपन कितना प्यारा है……… मस्त पवन सा उड़ […]