बाल कविता – गुब्बारे में
हवा भर कर गुब्बारे में। खेल रहा था मैं चौबारे में।। हाथ में था , लगता प्यारा। मस्त बढ़िया निक
Read Moreहवा भर कर गुब्बारे में। खेल रहा था मैं चौबारे में।। हाथ में था , लगता प्यारा। मस्त बढ़िया निक
Read Moreसूरज ने है रूप दिखाया। गर्मी ने तन-मन झुलसाया।। धरती जलती तापमान से। आग बरसती आसमान से।। लेकिन है भगवान
Read Moreबाबा कैसे होते गाँव। गाँव देखने का है चाव।। घर कुछ छोटे बड़े गाँव में, बच्चे खेलें सघन छाँव में,
Read Moreजिसके मन में हो हौसला, डरे न वह देखकर फासला। चाहे जितनी दूर हो मंजिल, कर ही लेता है वह
Read Moreकविता 1: दादी की लाठी दादी की वह लाठी। बन गई बढ़िया साथी। कहीं भी जाती दादी। साथ ले जाती
Read Moreलल्ला जी स्कूल में पहुंचे लिए हाथ में तख्ती एंटर किये क्लास में दिखलाई टीचर ने सख्ती लल्ला जी हो
Read Moreपापा अब मैं हुई बड़ी। ला दो मुझको एक घड़ी। बिलकुल भैया के जैसी। न लूँगी ऐसी वैसी। स्कूल पहन
Read Moreएक मुर्गी के चूज़े चार। मुर्गी करती उनको प्यार। चारों बहुत ही थे नटखट। दिनभर करते थे खटपट। एक दिन
Read More1.ये ले मेरी बर्फी मैं भी खेलूं तू भी खेले आओ मिल कर होली सारी कुट्टी अब्बा कर लें फिर
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