“गिलहरी”
बैठ मजे से मेरी छत पर, दाना-दुनका खाती हो! उछल-कूद करती रहती हो, सबके मन को भाती हो!! तुमको पास
Read Moreलोग तो एक ही वेलेंटाइन डे मनाने को तरसते हैं, मैं दो-दो वेलेंटाइन डे मनाऊंगा, खुश होना तो अपने हाथ
Read Moreधूप और बारिश से, जो हमको हैं सदा बचाते। छाया देने वाले ही तो, कहलाए जाते हैं छाते।। आसमान में
Read Moreरंग-बिरंगी पेंसिलें तो, हमको खूब लुभाती हैं। ये ही हमसे ए.बी.सी.डी., क.ख.ग. लिखवाती हैं।। रेखा-चित्र बनाना, इनके बिना असम्भव होता।
Read Moreएक दिन आग लगी जंगल में, भगदड़ मच गई यारों। कोई यहाँ कोई वहाँ था भागा, आफत आ गई प्यारों।
Read Moreचले मेला आओ भालू भाई पहनो सूट, बूट और टाई देखो बाहर शीत लहर है ठण्डी हवा चारो पहर है
Read Moreखोल लिया इसने अक्ल का ताला || छत की मुंडेर पर काँव-काँव बोले |चुन्नू-मुन्नू के मन में मिश्री घोले ||
Read Moreमां ने हमको जन्म दिया है, पाल-पोसकर बड़ा किया है, देकर सद्गुण मां ने हम पर, सच में बड़ा उपकार
Read Moreरंग – बिरंगे सुंदर कोमल , लहराते बलखाते फूल | बाग – बगीचे की शोभा को हरदम खूब बढाते फूल
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