“बच्चे होते स्वयं खिलौने”
सीधा-सादा, भोला-भाला। बचपन होता बहुत निराला।। बच्चे सच्चे और सलोने। बच्चे होते स्वयं खिलौने।। पल में रूठें, पल में मानें।
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Read Moreआगे इसे ले जाना है भारत सपूत हम सच्चे हैं देश सेवा से न पीछे हटेंगे मेहनत करेंगे डटकर हम
Read Moreकाली बिल्ली जब घर आई। मम्मी ने रसमलाई छुपाई। जैसे ही देखा चूहों ने। झट से सरपट दौड़ लगाई चमकीली
Read Moreघर की मियारी पर दादी ने, डाले दो झूले रस्सी के। चादर की घोची डाली है, तब तैयार हुए हैं
Read Moreअभी पूर्व से मुर्गा बोला, सूरज ने दे दी है बांग। लालूजी कवितायें लिखते, ऐसी ही कुछ ऊंट पटांग। कौआ
Read Moreयह ढोलक है दादी की। दादी की परदादी की। दोनों इसे बजाती थीं। मिलकर गाने गाती थीं। हम भी इसे
Read Moreछपाक छैया, ताल तलैया, नाचें हम बादल संग भैया। छपाक छैया! आसमान से गिरती बूंदें, तन को अपने सहलाती है,
Read Moreदेखो मम्मी मेढक बोला आसमान मे बादल छाया मेघ भी जोर से गरजा डर के दीपू घर मे भागा होता
Read Moreरिम-झिम करता सावन आया। गरमी का हो गया सफाया।। उगे गगन में गहरे बादल, भरा हुआ जिनमें निर्मल जल, इन्द्रधनुष
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