काव्यमय कथा-4 : एकता में बल है
एक किसान दुःखी था मन में, चारों बेटे लड़ते रहते, इस प्रकार लड़ते रहने से, सारे काम बिगड़ते रहते. एक
Read Moreएक किसान दुःखी था मन में, चारों बेटे लड़ते रहते, इस प्रकार लड़ते रहने से, सारे काम बिगड़ते रहते. एक
Read Moreचार बैल थे पक्के साथी, नहीं कभी भी लड़ते थे, उन्हें देखकर जंगल के सब, बड़े जीव भी डरते थे.
Read Moreभौं-भौं भौंका शेरू कुत्ता, रामचंद्र नहीं जाग सका, गठरी बांध चोर ले भागा, शेरू फिर भी नहीं रुका. गठरी एक
Read More‘इ’ से इसे न छेड़ो बच्चो, इ से इधर न तुम आना, इ से इसकी चीज़ न लेना, इ से
Read Moreहम सुनते हैं एक कहावत, एक अनार और सौ बीमार, समझ न आए कैसे खाएं, एक अनार को सौ बीमार.
Read Moreरोज़ सवेरे मुर्गी चिनचिन, सोने का अंडा देती एक, खुश हो रामू ले लेता था, कहता मुर्गी कितनी नेक! एक
Read Moreमेरी गुड़िया छैल-छबीली, जींस पहनती गहरी नीली। इलू-इलू बोले वह सबको, प्यार बाँटती सारे जग को। काला चश्मा लाल रुमाल, और सुनहरे
Read Moreमेरा गुड्डा मस्त कलन्दर, नाचे ऐसे जैसे बन्दर। उछल कूद में ऐसा माहिर, शैतानी उसकी जग जाहिर। एक बार बस चाबी भर
Read Moreमां मुझको तू कृष्ण बना दे, देश प्रेम की लगन लगा दे, छोटा-सा पीताम्बर पहना, छोटी-सी वंशी दिलवादे. मोरपंख का
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