अप्रैल का महीना था। स्कूलों की वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित किये जा रहे थे। इस वर्ष तनु अपने स्कूल के कक्षा पाँचवीं में प्रथम आयी थी। उसके छोटे भाई शुभम ने भी कक्षा तीसरी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। दोनों भाई-बहन स्कूल से अंकसूची लेकर आये और बैठक कमरे में टेबल पंखे […]
बाल कहानी
करिश्मा
पोते की शादी में दादी जैसे गा-बजा-नाच रही थी, कोई समझ ही नहीं सकता था कि वह छियासी साल की होंगी. अभी थोड़े दिन पहले ही उनके दिल का ऑपरेशन हुआ था, लेकिन युवा दिल का जोश कम होने में नहीं आ रहा था. “अभी इतना नाच रही है, इंग्लैंड की मेम आ रही है, […]
बालकहानी : वनदेवी
जैसे ही शिखर को पता चला कि चंदा हथिनी के दल का एक बुजुर्ग हाथी तालगाँव के समीप नर्रा जंगल में अपने दल से बिछुड़ कर इधर-उधर भटक रहा है ; वह तुरंत , ‘ हाथी देखने जा रहा हूँ दीदी… ‘ , कहते हुए विभा के मना करने के बावजूद घर से निकल पड़ा। […]
बाल-कहानी – पुरस्कार
रोज की तरह आज भी शाला में प्रातः कालीन राष्ट्रगान चल रहा था।इसके बाद बच्चों को सम्बोधित करते हुए प्रार्थना प्रभारी मास्टर ने प्रेरक वाक्य के लिए राजू !रामू!गोपाल! कहके पुकारा पर कोई तैयार नहीं हुए। पीछे से राजू ने कहा- “मास्टर जी आज हम लोगों ने कोई तैयारी नही की है।अतःआप से निवेदन है […]
बालकहानी- बिट्टू बंदर ने की मदद
कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। साँझ होते ही जंगल के सभी जानवर अपने-अपने घरों में दुबक जाते थे। ऐसा लगता जैसे कि जंगल भर बदन कँपकँपाती हवा का पहरा हो। छोटे बच्चों को घर से बाहर निकलने की बिल्कुल इजाजत नहीं थी। अगर कोई गलती से बाहर निकल जाता, तो उसे अपने मम्मी-पापा की […]
बालकहानी : सोना समझ गयी
“मैं बहुत थक गयी हूँ। अब एक कदम भी नहीं चला जाता है मुझसे। सुबह से शाम तक बस; सिर्फ काम ही काम। सुनिए जी, आज मैं घर पर ही रहूँगी। आप जाइये काम पर।” नन्हीं चींटी सोना ने अपने पति डंबू से कहा। डंबू ने सोना को चिढ़ाते हुए […]
कर्म और भाग्य (बाल कहानी )
बहुत समय पहले की बात है, चंदनपुर गाँव में जयवीर नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत दयालू, दानवीर साधू संतो की पूजा करने वाला धर्मरत इंसान था। उसके एक पुत्र था। जिसका नाम प्रज्ञ था। प्रज्ञ बहुत होशियार बच्चा था। पढ़ने में उसका बहुत मन लगता था। वह अपनी कक्षा में अव्वल आता […]
बालकहानी – इस बार की दीवाली
नरेश कक्षा आठवीं का छात्र था। उसकी दो बहनें थीं- जयंती और नंदनी। वह सबसे छोटा था। माँ-बाप खेती-किसानी करते थे। अल्प वर्षा के कारण इस साल फसल अच्छी नहीं थी। वैसे भी घर की आर्थिक स्थिति पहले से खराब थी। जैसे भी हो, बस गुजर-बसर हो रहा था। दीपावली का त्यौहार आया। दीपावली की […]
बालकहानी : श्रीराम का अभिनय
हर साल की तरह इस साल भी दशहरा के अवसर पर श्रीरामलीला का मंचन होना था। आसपास के क्षेत्र में हायर सेकेण्डरी स्कूल जबकसा के श्रीरामलीला मंचन कार्यक्रम की बड़ी ख्याति थी। आज सांस्कृतिक प्रभारी शिक्षक अरुण यादव जी ने बच्चों को मंचन हेतु पात्रों की भूमिका सौंप दी। सब अपनी-अपनी भूमिका से संतुष्ट और […]
मोहन का बछड़ा (बाल कथा गीत)
मोहन अपना छोटा बछड़ा, एक दिवस ले खेत गया, इधर-उधर वह लगा खेलने, खेलते-खेलते चौंक गया. मक्खी एक बड़ी तेजी से, भाग रही, मोहन बोला, “मक्खी रानी, क्यों भगती हो, किससे डर है तुम्हें भला?” मक्खी बोली, “पीछे देखो, मैं उससे डरकर भागी”, मोहन ने मुड़ पीछे देखा, चिड़िया भी डरकर भागी. “छोड़ो उस छोटी […]