१. तोता मिर्ची खाना इसका काम जपता रहता “सीताराम” हरा शरीर लाल है चोंच हमने रखा मिठ्ठू नाम २. कौआ काला-काला, काँव-काँव दिखता रहता मेरे गाँव मैना से करता झगड़ा खाता रोटी का टुकड़ा ३. कार हमको गोद बिठाती है पिकनिकपर ले जाती है साएँ-साएँ चल-चलकर सारे शहर घुमाती है ४. बाइक […]
शिशुगीत
शिशुगीत – 3
१. चिड़ियाघर जब भी छुट्टी आती है हम चिड़ियाघर जाते हैं भालू, चीता, टाइगर देख हँसते हैं, मुस्काते हैं २. कबूतर उजला भी चितकबरा भी कई रंगों में आता है करे गुटरगूँ दाने चुग मुझे कबूतर भाता है ३. बिल्ली दबे पाँव ये धीरे-धीरे चली किचेन में आती है रखी सारी दूध-मलाई पल […]
शिशुगीत – 2
१. गेंद रंग-बिरंगी आती है मेरा मन बहलाती है बल्ले, हॉकी, रैकेट से ढेरों खेल खिलाती है २. पंखा फर-फर, फर-फर चलता है गरमी दूर भगाता है निंदियारानी को लाकर सारी रात सुलाता है ३. फूल फूल खड़े रहते मुस्काते दे रस मीठा मधु बनवाते फ्रेंड इन्हीं की तितलीरानी रोज सुनाती नयी कहानी […]
शिशुगीत – 1
१. बंदर नटखट होता है बंदर उछले-कूदे इधर-उधर धूम मचा दे रस्ते में हँसी दिला दे सस्ते में खाता है रोटी, केले गुलदाने, गुड़ के ढेले २. भालू भालू मोटा, ताकतवर देख इसे लगता है डर मधु खा के हो जाता खुश जंगल में घूमे दिनभर ३. शेर पीला-पीला राजा वन का लंबे, भारी-भरकम तन […]
चन्द शिशु गीत
1 ‘क’ से कब तक पढूँ कबूतर आँगन आये कभी उतर कर समझ न पाऊँ क्यूँ उड़ जाए जब भी चाहा देखूँ छूकर । 2 हैं कितने अचरज की बातें कौन बनाता दिन और रातें फूल खिलाता इतने सारे देता तारों की सौगातें । 3 बड़ी सुहानी धूप खिली है किरन परी भी आ धमकी […]