बालगीत “गुलमोहर पर छाई लाली”
लाल रंग के सुमन सुहाते।लोगों को हैं खूब लुभाते।।—रूप अनोखा, गन्ध नहीं है,कागज-कलम निबन्ध नहीं है,उपवन से सम्बन्ध नहीं है,गरमी
Read Moreलाल रंग के सुमन सुहाते।लोगों को हैं खूब लुभाते।।—रूप अनोखा, गन्ध नहीं है,कागज-कलम निबन्ध नहीं है,उपवन से सम्बन्ध नहीं है,गरमी
Read Moreतन-मन की जो हरता पीरावो ही कहलाता है खीरा—चाहे इसका रस पी जाओचाहे नमक लगाकर खाओ—हर मौसम में ये गुणकारीदूर
Read Moreबारह वर्ष का विहान रोते-रोते दादा जी के पास आया। दादा जी दादा जी देखो न सबकी पंतग तो आकाश
Read Moreजंगल की तुम सुनो कहानी। सुना रही थी मेरी नानी।। हथिनी हाथी पर चिंघाड़ी। फ़टी हुई है मेरी साड़ी।। नई
Read Moreकितने अद्भुत अपने पैर! नहीं किसी से करते बैर।। सबको मंज़िल तक पहुँचाते। ये दुनिया भर को करवाते ।। मेला
Read Moreधोती हैं, कुरता,गमछे हैं,हम दादाजी के चमचे हैं। जब छड़ी कहीं गुम जाती है,वे छड़ी -छड़ी चिल्लाते हैं।हम ढूंढ -ढाँढ
Read Moreभोर हो गयी है आँखे खोलो पृथ्वी माता सूर्य देव को करो सादर प्रणाम घर वालों को सुप्रभात बोलों जल्दी
Read Moreपूर्वजों ने स्वतंत्र भारत दिया और हमने क्या हाल कर दिया आज ख़ुद से अब वादा कर लिया जूझने का
Read Moreएक घना जंगल था। उसमे तरह तरह के पेड़ पौधे थे। भांति भांति के फल-फूल, पशु-पक्षी जंगल की शोभा में
Read More