बाल कविता – चुन्नू मुन्नू
चुन्नू मुन्नू पढ़ने जाते रोज़ रोज़ वे उधम मचाते मम्मी पापा जब समझाते सुन कर भूल दुबारा जाते एक दिन एक सिपाही आया मुन्नू को तब बहुत डराया चुन्नू उससे अब घबराया उसने फिर न उधम मचाया — भारत विनय
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Read Moreप्रिय बच्चो, सदा खुश रहो, कविता लिखना सीखने के इस क्रम में हम आपको केवल कविता द्वारा अनेक विषयों पर
Read Moreसीधा-सादा, भोला-भाला। बचपन होता बहुत निराला।। बच्चे सच्चे और सलोने। बच्चे होते स्वयं खिलौने।। पल में रूठें, पल में मानें।
Read Moreआगे इसे ले जाना है भारत सपूत हम सच्चे हैं देश सेवा से न पीछे हटेंगे मेहनत करेंगे डटकर हम
Read Moreप्रिय बच्चो, रक्षाबंधन मुबारक हो, कविता लिखना सीखने के इस क्रम में हम आपको केवल कविता द्वारा अनेक विषयों पर
Read Moreकाली बिल्ली जब घर आई। मम्मी ने रसमलाई छुपाई। जैसे ही देखा चूहों ने। झट से सरपट दौड़ लगाई चमकीली
Read Moreघर की मियारी पर दादी ने, डाले दो झूले रस्सी के। चादर की घोची डाली है, तब तैयार हुए हैं
Read Moreअभी पूर्व से मुर्गा बोला, सूरज ने दे दी है बांग। लालूजी कवितायें लिखते, ऐसी ही कुछ ऊंट पटांग। कौआ
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