वैश्विक स्तरपर आज हर देश पर्यावरण समस्याओं का सामना कर रहा है जिसका समाधान खोजने उसपर अमल करने के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सभी देश एकत्रित होकर पर्यावरण की सुरक्षा के मुद्दों पर अनेक उपायों की चर्चा कर उसके क्रियान्वयन करने में लगे हुए हैं जिसमें पेरिस समझौता सहित अनेक ऐसे समझौते शामिल हैं […]
पर्यावरण
तितलियों की विलुप्त प्रजाति बचाने पर ध्यान दिया जाए
कुछ समय पहले मध्य प्रदेश से पर्यावरण प्रेमियों के लिए बहुत ही अच्छी खबर आई थी कि दो कीटविज्ञान शास्त्रियों ने तितली की एक प्रजाति,एक्सेरसिस ब्लू ढूंढ निकाली है।ख़ास बात ये थी कि इन तितली को लगभग 80 साल पहले विलुप्त घोषित कर दिया गया था। कीट विज्ञान शास्त्रियों.ने बरगी डैम के पास तितली की […]
पर्यावरण के लिए सिर्फ एक दिन ?
आज पार्यावरण दिवस है ,लोग एक छोटा सा पेड़ लगाते हुए एक फोटो किसी आनलाइन प्लेटफार्म पर डालकर अपने को प्रकृति प्रेमी घोषित करेंगे । यह प्रकृति प्रेम नही है ,प्रकृति प्रेम तो गाँवों मे होता था। हाँ, अब वहाँ भी शेष नही बचा ,यह दुख और चिंता का विषय है । हर गाँव […]
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
धरती मां को, प्रकृति की संस्कृति को बचाने का जीवन आधार से ही मानव अपने सुख की सांसे गिन सकता है। इसलिए पर्यावरण को बचाना मानव का प्रथम कर्तव्य बनता है नहीं तो प्राकृतिक आपदाओं का खामियाजा भुगतने के लिए मानव को तैयार रहना होगा। प्रथम बार 5 जून से 16 जून तक(1972 में) संयुक्त […]
सफलता की कहानी
गागर की बदौलत आकार ले रहा हरियाली का सागर मरुभूमि में दरख्तों के पल्लवन की अभिनव पहल निरन्तर बढ़ती जा रही ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय खतरों के चलते अधिकाधिक पौधारोपण के साथ ही पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में सर्वोच्च प्राथमिकता से प्रयासों की आवश्यकता आज हर कहीं महसूस हो रही है। इस […]
हमारे सांस्कृतिक जीवन मूल्यों में है पर्यावरण
पर्यावरण दिवस- 5 जून मुझे याद है। बचपन में पिताजी ने सिखाया था. सबेरे सोकर उठो तो सीधे पृथ्वी पर पैर मत रख दो। पहले धरती को प्रणाम करो। क्योंकि ये हमारी मां है। फिर संघ में गाए जाने वाले प्रातरू स्मरण में सीखा. विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यम् पादस्पर्शं क्षमस्व मे हे विष्णु की पत्नी पृथ्वी मां […]
ब्रम्हांड में डायनासारों के विनाश वाली पुनरावृत्ति एक बार फिर से होगी
हम जिस तरह से आये थे उसी तरह से जायेंगे! जी हां हमारी उत्तपत्ति जैसे हुयी थी विनाश भी वैसे ही होगा आज से लगभग 7 कारोड़ वर्ष पूर्व के अतीत में झांक कर देखा जाये तो उस समय हमारी पृथ्वी पर सबसे खतरनाक प्राणी डायनासोरों का निवास था, डायनासोर दूसरे जीव जन्तुओं के लिये […]
जीव का जीवन ही कृषि पर आधारित है
वैश्विक स्तरपर भारत प्राकृतिक संसाधनों में सर्वगुण संपन्न वाला एक ऐसा अनोखा देश है जहां सृष्टि की की अपार रहमत बरसी है। बस, जरूरत है हमारे अपार समृद्ध जनसांख्यिकीय तंत्र को अपनी विश्व प्रतिष्ठित बौद्धिक क्षमता, कौशलता का उपयोग कर इन्हें विलुप्तता या नष्ट होने से बचाएं, क्योंकि जिस तरह प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो […]
अर्थ डे और वेद
भूमि को वेद में माता कहा गया है “माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: -अथर्व० १२/१/१२”, “उपहूता पृथिवी माता -यजु० २/१०”। वेद कहता है- यस्यामाप: परिचरा: समानीरहोरात्रे अप्रमादं क्षरन्ति। सा नो भूमिर्भूरिधारा पयो दुहामथो उक्षतु वर्चसा।। -अथर्व० १२/१/९ जिस भूमि की सेवा करनेवाली नदियां दिन-रात समान रूप से बिना प्रमाद के बहती रहती हैं वह भूरिधारा […]
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
जिस धरती को हम माता कहते हैं। जन्म देने वाली मां से ज्यादा उपकार धरती माता का है। जो हमारा पालन करती है। अन्न ,जल,फल से हमारे जीवन का उद्धार करती है। वह धरती माता ही आज प्रदूषित होती जा रही है। यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है। आज पूरी दुनिया की समूल मानव […]