धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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आर्यसमाज की स्थापना एवं वेद प्रचार एक दैवीय एवं पुण्य कार्य

ओ३म् हम ऋषि दयानन्द सरस्वती द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी संवत् 1932 को आर्यसमाज की स्थापना के कार्य को एक दैवीय

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सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर प्रदत्त वेदों के ज्ञान से ही मनुष्य ने बोलना व व्यव्हार करना सीखा

ओ३म् हमारा आज का संसार 1.96 अरब वर्ष पूर्व तब अस्तित्व में आया था जब सृष्टिकर्ता परमात्मा ने इस सृष्टि

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वर्ष का नया दिन नव-संवत्सर इतिहास का एक गौरवपूर्ण दिन

ओ३म् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात् 18 मार्च, सन् 2018 से नव सृष्टिसंवत एवं विक्रमी संवत्सर का आरम्भ हो रहा है।

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लेख– हिन्दू नववर्ष अपने में समेटे हुआ सामाजिक औऱ ऐतिहासिक महत्व

किसी देश को विश्व परिदृश्य पर श्रेष्ठ उसे उसकी संस्कृति औऱ सभ्यता बनाती है। ऐसे में अगर हम विश्व का

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ईश्वर सबसे महान है, उससे महान न कोई है और न कभी होगा

ओ३म् सबसे बड़े व गुण, कर्म, स्वभाव आदि में सबसे श्रेष्ठ को ‘‘महान्” कहते हैं। ऐसी सत्ता यदि कोई है

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ईश्वर विश्व के मनुष्यादि सभी प्राणियों का महानतम न्यायधीश है

ओ३म् इस संसार में तीन शाश्वत सत्तायें हैं जिनके नाम हैं ईश्वर, जीव व प्रकृति। ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ,

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