धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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ईश्वर और हमारे सद्कर्म हमारे सबसे बड़े मित्र व रक्षक हैं

ओ३म् मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता उसके जीवन की रक्षा की है। यह रक्षा हमारा एक ऐसा मित्र कर सकता

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ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ग्रन्थ में अग्निहोत्र यज्ञ का यथार्थ स्वरूप

ओ३म् वैदिक साहित्य में ऋषि दयानन्द कृत ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ग्रन्थ का प्रमुख स्थान है। यह ग्रन्थ उनके चारों वेदों के भाष्य

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भीष्म पितामह का मृत्यु शय्या पर से युधिष्ठिर जी को उपदेश

ओ३म् महाभारत में धर्म विषयक प्रभूत सामग्री उपलब्ध होती है। कीर्तिशेष स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती जी द्वारा सम्पादित महाभारत ग्रन्थ एक

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अग्निहोत्र-यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म होने के कारण वैदिक धर्म का आवश्यक कर्तव्य

ओ३म् प्रथम प्रश्न तो यह है कि वैदिक धर्म क्या है? इसका उत्तर इस प्रकार से दे सकते हैं कि

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अनन्त ब्रह्माण्ड में अल्प बिन्दुवत् जीवात्मा नामी अभिमानी मनुष्य

ओ३म् हम जिस संसार में रहते हैं उसमें हमारे समान अनन्त जीवात्मायें हैं जो विभिन्न प्राणी शरीरों में रह रहीं

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ईश्वर, वेद, धर्म, जीवात्मा, सृष्टि आदि विषयक ऋषि के सारगर्भित विचार

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश में 51 विषय को परिभाषित किया है। इन्हें वह स्वयं भी मानते थे। ऋषि

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सन्ध्या व अग्निहोत्र यज्ञ का महत्व व लाभ

ओ३म् सन्ध्या एक शास्त्रीय विधान है जिसका अनुष्ठान प्रत्येक स्त्री व पुरुष का कर्तव्य है। शैशव काल से माता-पिता के

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