धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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ऋषि दयानन्द ने अपने माता-पिता, परिवार व गृह का त्याग क्यों किया?

ओ३म्   ऋषि दयानन्द महाभारत काल के बाद और अपने समय के वेदों के सर्वोच्च विद्वान, महर्षि, ऋषि, मुनि, आप्त

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मनुष्य सृष्टिकर्त्ता ईश्वर और अपने यथार्थ स्वरूप को जानने में उदासीन क्यों रहता है?

ओ३म्   मनुष्य के पास अपना एक भौतिक शरीर होता है। इस शरीर के साथ ही शरीर में अभौतिक जीवात्मा

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आर्य सन्यासी स्वामी वेदानन्द का काशी में पादरी से नोक झौंक का एक महत्वपूर्ण प्रसंग

ओ३म् स्वामी वेदानन्द तीर्थ ऋषि दयानन्द के प्रमुख भक्तों में से एक थे। आपने स्वाध्याय सन्दोह एवं स्वाध्याय सन्दीप आदि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मसमाचार

यज्ञ ओ३म्, वेद, वाणी, मन, अन्न, जल, तेज, आकाश, ब्राह्मण आदि में प्रतिष्ठित है: वीरेन्द्र शास्त्री

ओ३म्   आर्यसमाज धामावाला देहरादून के आज रविवार 25 सितम्बर, 2016 को प्रातःकालीन सत्संग में आर्य जगत् के उच्च कोटि

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तरह-तरह के पशु, पक्षियों और जन्तुओं को मारकर खाने में संकोच न करने के कारण मनुष्य क्रूर और निर्मम प्राणी: डा. सत्यप्रकाश

ओ३म्   ईश्वर ने मनुष्य को शाकाहारी प्राणी बनाया है। यह मनुष्य की आकृति, उसके दांतो व आंतों की बनावट

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विविधता में एकता का सिद्धान्त क्या उचित है?

ओ३म्   भारत अनेक मत-मतान्तरों, बहुभाषाओं, भिन्न-भिन्न रहन-सहन व परम्पराओं वाला देश है। एक ही मत में अनेक शाखायें भी

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अविद्या मनुष्य, समाज, देश और संसार सबकी प्रमुख व प्रबल शत्रु

ओ३म्   वर्ण व्यवस्था के सम्बन्ध में कहा जाता है कि संसार के तीन प्रमुख शत्रु हैं। प्रथम अज्ञान व

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