धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऐ मेरे मन ! तू मस्ताना और दीवान बन और ईश्वर को प्राप्त कर ले

ओ३म्   पं. चमूपति जी ने सोम सरोवर नाम की एक पुस्तक लिखी है जिसमें उन्होंने सामवेद के पवमान सूक्त

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

परम दयालु, कृपालु और हमारा हितैषी परमेश्वर

ओ३म्   यदि हम यह विचार करें कि संसार में हमारे प्रति सर्वाधिक प्रेम, दया, सहानुभूति कौन रखता है, कौन

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मविज्ञान

जगत का प्रलय किस प्रकार होता है?

ओ३म्   महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम संस्करण में जगत की प्रलय का प्रकार लिखा है। वह लिखते

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

जन्म से पूर्व अतीत व भविष्य से अनभिज्ञ मनुष्य को केवल ईश्वर का ही आधार

ओ३म्   संसार में दो प्रकार की सत्तायें हैं, एक चेतन व दूसरी जड़। यह समस्त सृष्टि जिसमें हमारा सौर्य

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

संस्कार विधि में ऋषि दयानन्द के कुछ मन्तव्यों पर पं. युधिष्ठिर मीमांसक जी के विचार

ओ३म्   ऋषि दयानन्द सरस्वती ने आर्यसमाज की स्थापना 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में की थी। 41 वर्ष

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेदाज्ञा के अनुसार पारिवारिक व्यवहार का स्वरूप

  ओ३म्   चार वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तकें हैं। यह पुस्तकें मनुष्यों द्वारा रचित व लिखित न होकर

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