धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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ईश्वर से आदि चार ऋषियों को वेद ज्ञान विषयक हमारी भ्रान्ति

ओ३म् कुछ दिन पूर्व हम वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में सत्संग में बैठे हुए आर्य विद्वान श्री उमेश चन्द्र

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सृष्टि में मनुष्य जन्म क्यों होता आ रहा है?

ओ३म् हम संसार में जन्मे हैं। हमें मनुष्य कहा जाता है। मनुष्य शब्द का अर्थ मनन व चिन्तन करने वाला

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महात्मा प्रभु आश्रित का आदर्श जीवन और उनके कुछ प्रेरक विचार

महात्मा प्रभु आश्रित जी आर्यसमाज के उच्च कोटि के साधक व वैदिक  विचारधारा मुख्यतः यज्ञादि के प्रचारक थे। उनका जन्म

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वेद परिवार के सब सदस्यों के हृदयों व मनों की एकता का सन्देश देते हैं

ओ३म् वेदाध्ययन से जीवन का कल्याण   वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद ईश्वर प्रदत्त होने के कारण

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आर्यसमाज अन्धविश्वास व कुरीतियों को भस्म करने वाली आग हैः स्वामी आर्यवेश

ओ३म् वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के ग्रीष्मोत्सव का समापन वैदिक साधन आश्रम तपोवन देहरादून का पांच दिवसीय ग्रीष्मोत्सव रविवार

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ईश्वर सृष्टि का रचयिता, पालक, संहारक, जीवों को कर्मफल प्रदाता और वेदज्ञान का दाता है: आचार्य उमेशचन्द कुलश्रेष्ठ

वैदिक साधन आश्रम तपोवन देहरादून का अर्धवार्षिक उत्सन का चैथा दिवस आज 9 मई, 2015 को वैदिक साधन आश्रम तपोवन,

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मरने के बाद जिसे याद किया जाये, समझिये उसने मृत्यु को जीत लिया है: आचार्य उमेश

वैदिक साधन आश्रम तपोवन देहरादून के उत्सव का दूसरा दिन   आज शुक्रवार 8 मई, 2016 को वैदिक साधन आश्रम

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पापों से बचाव व मुक्ति के लिए अघमर्षण मन्त्रों का पाठ और तदनुसार आचरण आवश्यक

मनुष्य जीवन का उद्देश्य पूर्व जन्मों के कर्मों का भोग एवं शुभकर्मों को करके धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की

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प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें?

वैदिक जीवन का एक नित्य कर्तव्य वेद ईश्वरीय ज्ञान है। सृष्टि के आरम्भ में संसार के सभी मनुष्य वेदों के

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आर्यसमाज का सार्वभौमिक कल्याणकारी लक्ष्य एवं उसकी पूर्ति में बाधायें

आर्य समाज का उद्देश्य संसार में ईश्वर प्रदत्त वेदों के ज्ञान का प्रचार व प्रसार है। यह इस कारण कि

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