धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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वेदाध्ययन में स्त्रियों व दलितों सहित सभी का समान अधिकार

वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है जिसका उद्देश्य सभी विषयों, तृण से लेकर ईश्वर पर्यन्त, में मनुष्यों को सत्य व असत्य

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यज्ञ शुद्ध प्राणवायु उत्पन्न कर सबको स्वस्थ-निरोग रखता है

10 ग्राम गोघृत की यज्ञ में आहुति से 1 टन प्राणवायु–आक्सीजन उत्पन्न होती है अब घृत के कुछ गुणों पर

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वृहतयज्ञों व सत्संगों से होने वाले धर्म-लाभ पर विचार

एक प्रसंग में हमने पढ़ा कि अनुक स्थान पर एक वृहत यज्ञ हो रहा है। वहां पहुंच कर व कार्यक्रम

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वेद और क़ुरान फैसला करते है कितने दूर कितने पास?

दिल्ली पुस्तक मेले में कुछ मुस्लिम भाइयों द्वारा एक स्टाल लगाकर यह प्रचारित किया जा रहा है की वेद और

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सत्यार्थप्रकाश के आर्य्यावर्त्तीय मतों के खण्डनमण्डन समुल्लास की महर्षि दयानन्द लिखित महत्वपूर्ण अनुभूमिका

​महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सन् 1875 में आर्य समाज की स्थापना की थी। उन्होंने अपनी वेदों पर आधारित मान्यताओं व

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शिवरात्रि और महर्षि दयानन्द

भारत में फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को शिवरात्रि का पर्व मनाने की परम्परा है। इसका आरम्भ महाभारत

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वेद पारायण व बहुकुण्डीय यज्ञों का औचित्य और प्रासंगिकता

आर्य जगत की पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से समय-समय पर ज्ञात होता है कि अमुक-अमुक स्थान पर बहुकुण्डीय यज्ञ हो रहा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चासामाजिक

पुनर्जन्म या आगमन क्यों आवश्यक हैं?

प्रातःकाल उद्यान में भ्रमण करते हुए आर्यजी और मौलाना साहब की भेंट हो गई। आर्य जी युनिवर्सिटी में प्राध्यापक थे

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सभी धर्म किसी बड़े वृक्ष के फल व फूल हैं?

हम संसार में अनेक धर्मों को देखते हैं। वस्तुतः यह सब धर्म न होकर मत, मतान्तर, पन्थ, सम्प्रदाय, रिलीजियन या

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