ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ से वेदों के सत्यस्वरूप का प्रचार हुआ
ओ३म् ऋषि दयानन्द के आगमन से पूर्व विश्व में लोगों को वेदों तथा ईश्वर सहित आत्मा एवं प्रकृति के सत्यस्वरूप
Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द के आगमन से पूर्व विश्व में लोगों को वेदों तथा ईश्वर सहित आत्मा एवं प्रकृति के सत्यस्वरूप
Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द (1825-1883) ने अपना जीवन ईश्वर के सत्यस्वरूप तथा मृत्यु पर विजय प्राप्ति के उपायों की खोज में
Read Moreएक दूसरे के प्रति संवेदनाएं बड़े शहरों में तो पहले से ही शुष्क होती जा रही थीं, रही-सही कसर कोरोना
Read Moreबुद्धि एवं संवेग एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, व्यक्ति धनात्मक संवेग में रहता है तो बुद्धि अच्छे से
Read Moreओ३म् मनुष्य जब संसार में आता हैं और उसकी आंखे खुलती हैं तो वह अपने सामने सूर्य के प्रकाश, सृष्टि
Read Moreउत्तराखंड के चमोली जिले में एक ग्लेशियर के फटने के बाद आई बाढ़ की वजह से वैज्ञानिक समुदाय अब भी
Read More“जहाँ चाह वहाँ राह” इस उक्ति को साबित कर दिया है एक द्रढ़ मनोबल वाली लड़की और एक ऑटोरिक्शा चलाने
Read Moreओ३म् हम जानते हैं कि सभी मनुष्यों एवं चेतन प्राणियों के शरीरों मेंएक चेतन आत्मा की सत्ता भी निवास करती
Read Moreसिक्किम में कंचनजंघा के निकट लेपचा समुदाय का निवास है I इन्हें ‘रोंग’ अथवा ‘मोन-पा’ भी कहा जाता है I
Read Moreआज दुनिया के सभी देश आधुनिकता की राह पे चलते हुए दिन प्रतिदिन जहां तरक्की कर रहे हैं।साथ ही जहां
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