लेख

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य धर्मानुसार तथा सत्य असत्य को विचार कर ही आचरण करें

ओ३म् परमात्मा ने मनुष्य को सबसे मूल्यवान् वस्तु उसके शरीर में बुद्धि के रूप में दी है। बुद्धि से हम

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने मत-मतान्तरों की परीक्षा कर वेदानुकूल सत्य के ग्रहण का सिद्धान्त दिया

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने अपने ज्ञान व ऊहा से वेदों को सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों को सर्वव्यापक परमात्मा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द जी का गुरु विरजानन्द से विद्या प्राप्ति का उद्देश्य व उसका परिणाम

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने सच्चे शिव वा ईश्वर को जानने के लिए अपने पितृ गृह का त्याग किया था। इसके

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भाषा-साहित्य

‘मेरा नाम जोकर’ के महान गीतकार नीरज

कवि-गीतकार गोपालदास नीरज, जिनके साथ कभी मैंने भी किया था ‘काव्य-पाठ’…… पद्मश्री, फिर पद्मभूषण गोपाल दास ‘नीरज’ 19 जुलाई 2018

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