राजनीति

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प्रभुता पाई जाहि मद नाहीं

गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में बहुत पहले लिख दिया था – नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं, प्रभुता पाई जाहि मद नाहीं. अर्थात

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राजनीति

लेख– सत्तारुढ़ होते ही राजनीतिक दलों के संकल्प धूलधूसरित क्यों हो जाते हैं?

लाभ के पद को लेकर, भ्रष्टाचार को राजनीति से ख़त्म करने निकली आम आदमी पार्टी का छद्म आडम्बर अब खुलकर

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लेख–चुनावी बयार में ही बहेगा देश, या समाज सुधार का वाहक भी बनेगा चुनावी लोकतंत्र

भारतीय लोकतंत्र का पर्याय चुनाव बन बैठा है। एक राज्य में चुनाव ख़त्म होता नहीं, कि दूसरे राज्य में बिगुल

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क्या हम भी इजराइल की तरह बन सकते थे

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की छःदिवसीय यात्रा से भारत और इजराइल के इतिहासों के पन्ने अपनेआप फड़फड़ाकर जब उलटने

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लेख– जेहाद के नाम पर खून के प्यासे भाई औऱ शहीद नहीं कहलाते माननीय जी!

एक तरफ़ हमारी सरकार आतंककवाद की क़मर तोड़ने को प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर देश के कुछ युवा दिग्भ्रमित होकर

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राज्य सभा का टिकट न मिलने से कुमार विश्वास नाराज

कवि से आम आदमी पार्टी के राजनेता बने डॉ कुमार विश्वास संभवतः पार्टी के भीतर अपनी राजनैतिक भूमिका के अंत तक

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