भारत देश संस्कृति, भाषाओं, उपनिषद साहित्य से पिरोई ऐसी ख़ूबसूरत माला है जो वैश्विक रूप से अनमोल है इस भारतीय विरासत को देखने हज़ारों की संख्या में सैलानी भारत आते हैं और यह भारतीय ख़ूबसूरती विश्व प्रसिद्ध हैं।इस भारत रूपी माला में पिरोए मोतियों में से भाषा एक अनमोल मोती है। बात अगर हम भाषा […]
भाषा-साहित्य
हिंदी के लिए खुला विश्व-द्वार
संयुक्तराष्ट्र संघ में अभी भी दुनिया की सिर्फ छह भाषाएं आधिकारिक रूप से मान्य हैं। अंग्रेजी, फ्रांसीसी, चीनी, रूसी, हिस्पानी और अरबी! इन सभी छह भाषाओं में से एक भी भाषा ऐसी नहीं है, जो बोलनेवालों की संख्या, लिपि, व्याकरण, उच्चारण और शब्द-संख्या की दृष्टि से हिंदी का मुकाबला कर सकती हो। इस विषय की […]
सही अक्षर का उपयोग
शुद्ध हिन्दी लिखने के लिए यह भी आवश्यक है कि हम शब्दों में सही अक्षरों का उपयोग करें। गलत अक्षर का उपयोग करने पर बात भले ही समझ में आ जाये, लेकिन शब्द अशुद्ध हो जाता है। हम बता चुके हैं कि हिन्दी में किसी शब्द की कोई वर्तनी नहीं होती, उसे उसके उच्चारण के […]
‘मैगी केस’
केस तो आपने बहुत-से सुने होंगे, पर ‘मैगी केस’ शायद ही सुना हो! जी हां यह ‘मैगी केस’ बड़ा खतरनाक निकला. अब मैगी तो बच्चों को बहुत पसंद है, वे हर समय मैगी की रट ही लगाए रखते हैं, लेकिन दो-तीन बार खाकर वे बोर भी हो जाते हैं. फिर उन्हें पिज्जा-बर्गर यानि इंस्टेंट फुड […]
कविता के बारे में
(एक) ———- कविता की रचना-प्रक्रिया में जो कवि अपने समय से निरपेक्ष बने रह कर लिखने की कोशिश करता है उसकी संवेदनशीलता असंदिग्ध नहीं मानी जा सकती क्योंकि अपने समय और समाज की सच्चाई का प्रतिबिम्बन कवि को पूरे यथार्थ रूप में स्पष्टता के साथ उजागर करना चाहिये और विशेषकर ऐसे समय में जबकि शासकों […]
भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी
वैश्विक स्तरपर भारत की राजकीय भाषा हिंदी का प्रचार, प्रसार, महत्व, प्रतिष्ठा इतनी तेजी से बढ़ी है जिसका अंदाजा शायद हमने नहीं लगाया था। आज हम हाल के कुछ वर्षों की बात करें तो जहां हमारे माननीय पीएम महोदय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधनों, वन टू वन हिंदी डायलॉग, उन देशों के मूल भारतीयों […]
जनभाषा में न्याय की गूँज
विश्व के स्वाधीन व लोकतांत्रिक देशों में शायद ही ऐसा कोई देश होगा जहाँ के उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में वहाँ की भाषा में न्याय न मिलता हो। अगर भारत का इतिहास उठाकर देखें तो शायद ही कोई ऐसा समय रहा होगा जब देश में या किसी प्रदेश में लोगों को अपनी भाषा में […]
हिंदी की ‘पॉश कल्चर’ लेखिका को ‘बुकर’
भारतीय अंग्रेजी लेखक अरविंद अडिग को उनके पहले उपन्यास ‘द व्हाइट टाइगर’ के लिए वर्ष 2008 में यह पुरस्कार मिला था. अरविंद अडिग को उनके पहले उपन्यास द व्हाइट टाइगर के लिए वर्ष 2008 में यह पुरस्कार मिला. उपन्यास की कहानी उसके मुख्य पात्र कोलकाता में बसे बिहार के सहरसा निवासी बलराम हलवाई के आसपास […]
मात्राओं का उपयोग
देवनागरी लिपि की विशेषता इसकी मात्राएँ हैं। इन्हीं मात्राओं में नागरी लिपि और हिन्दी भाषा की शक्ति छिपी हुई है। केवल 12 मात्राओं और 36 व्यंजनों में मानव वाणी के सभी सम्भव स्वर समाये हुए हैं। इसलिए किसी भी भाषा को कोई भी शब्द नागरी लिपि में अधिकतम शुद्धता के साथ लिखा जा सकता है। […]
आनंदवर्धक
आनंद, आनंदमय और आनंदवर्धन किसको अच्छा नहीं लगता! यही “आनंदवर्धन” तो वह शब्द भी है और भाव भी, जो जीवन को जीवंत बनाए रखता है. वैसे कहते तो यह हैं, कि आनंद हमारे अंतर्मन में है, बस उसको महसूस करना है. इस महसूस करने के लिए भी अंतर्मन की गांठें खोलनी होती हैं, जो सकारात्मकता […]