कोरोना महामारी के कारण लगातार तीन वर्षों तक ऑनलाइन आयोजित होने के बाद इस वर्ष नई दिल्ली में भव्य विश्व पुस्तक मेले की शुरूआत हो गई है, जो 25 फरवरी से शुरू होकर अब 5 मार्च तक यानी कुल 9 दिन तक चलेगा। इस पुस्तक मेले का इंतजार केवल राजधानी दिल्ली के लोग ही नहीं […]
भाषा-साहित्य
वैश्विक शान्ति के लिए हिन्दी बने विश्वभाषा
फीजी के नांदी शहर में आयोजित बारहवें विश्व हिन्दी सम्मेलन को सार रूप में देखें तो ऐसा ध्वनित और स्पष्ट प्रतीत होता है कि फीजी सरकार और भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य हिन्दी को विश्वभाषा बनाना रहा है। फीजी के नागरिकों के अतिरिक्त तीस देशों के साढ़े तीन […]
साहित्य बौद्धिक स्तर को बढ़ाने की पुड़िया है
सोचिए साहित्य न होता तो? ज्ञान का स्तर बुद्धि के नक्शे में नीचे की सतह पर मृत्युशैया पर लेटा होता। साहित्य समाज का दर्पण है। हर भाव, हर रस, रुप, रंग, विचार और घटनाओं को अभिव्यक्त करने का ज़रिया है साहित्य। साहित्य का आगमन वो क्रान्ति है जिसने प्रबुद्ध लेखकों को अपनी कल्पना और विचारों […]
हिन्दी हमारी कितनी?
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं के अनगिनत msg पाएं किंतु कैसे छुड़वा पाएंगे अंग्रजी के पाश से? Msg को क्या बोलेंगे? समाचार? नहीं ये गलत प्रयोग होगा,संदेश? ये आप ही सोचे हिंदी को हिंदी बनाएं रखना कितना मुश्किल हैं?कई क्षेत्र ऐसे खास कर डॉक्टरी ,विज्ञान आदि के को परिभाषिक शब्द या वाक्यांश हैं जो सिर्फ अंग्रजी […]
साहित्य संस्थाओं एवं लेखनियता के प्रति नजरिया सम्मानजनक हो
कई लोगो की सोच है कि सोशल मीडिया पर अनेक साहित्य मंच है जो सम्मान पत्र बाटने,एवं प्रतिभागी से सहयोग राशि लेते है। वे इसे एक व्यापार का पहलू मानते है।जबकि साहित्य मंच साहित्य को जीवंतता प्रदान करने में एक संस्था के जरिए प्रदत्त विषय पर या विभिन्न साहित्य विद्या के जरिए जैसे हायकू,तांका, पिरामिड,दोहे,छंद, […]
हिन्दी की सार्वभौम प्रतिष्ठा के लिए समर्पित प्रयास जरूरी
हिन्दी को जन-जन के हृदय की भाषा बनाने के लिए भाषणों और आडम्बरों से परे रहकर दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मीय-समर्पित भाव से वास्तविक प्रयासों को अपनाना होगा। इसके लिए परस्पर वैमनस्य और उच्चाकांक्षाओं भरे मुखौटावादी व्यक्तित्व को तिलान्जलि देकर हिन्दीसेवियों को स्वस्थ मन और पवित्र भावना से आगे आना होगा। हिन्दी का विकास समय की […]
आलेख “दोहाछन्द को भी जानिए”
दोहा छन्द अर्धसम मात्रिक छन्द है। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं। दोहा छन्द ने काव्य साहित्य के प्रत्येक काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिन्दी काव्य जगत में दोहा छन्द का एक विशेष महत्व है। दोहे के माध्यम से प्राचीन काव्यकारों ने […]
सिंहासन खाली करो कि हिन्दी और भारतीय भाषाएं आती हैं
जब से चिकित्सा शिक्षा को हिन्दी माध्यम से दिए जाने की घोषणा हुई है, तभी से अभी तक कुल मिलाकर लगभग डेढ़ सौ चिकित्सा शिक्षकों, चिकित्सकों, पत्रकार साथियों और गैर चिकित्सीय विद्वानों तथा विद्यार्थियों ने मुझसे बातचीत में सरकार के इस कदम की आलोचना एवं घोर निन्दा की है, उपहास उड़ाया है, आत्मघाती कहा है, […]
दक्षिण में जो फुफकार रहे, हिंदी विरोधी ये संपोले उत्तर से छोड़े हैं
नेता जो कुछ भी कहते हैं, वह राजनीतिक जमा, घटा या गुणा करके ही कहते या करते हैं। आए दिन कांग्रेस सहित विपक्षी नेता घुमा – फिरा कर हिंदू घर्म पर ही हमले करते दिखते हैं। इनके द्वारा बाकी किसी धर्म पर ऐसे हमले शायद ही कभी हुए हों। चिदंबरम ने फिर एक बार हिंदुओं […]
साहित्य निष्प्राण हो जाएगा अगर जन सरोकार से दूर किया गया
साहित्य को समाज का दर्पण होना चाहिए अर्थात् समाज के चेहरे को हूबहू दिखाने के सामर्थ्य से सम्पन्न। सिर्फ इतना ही नहीं अपितु समाज को उन्नतशील और नवीन राह देना भी साहित्य का दायित्व है। इसलिए एक साहित्यकार को ग्राह्य हृदयी होने के साथ – साथ दूरदर्शी भी होना चाहिए जिससे वह समाज को समझ […]