मातृभाषा से मुंह मत मोड़िए
मातृभाषा मिश्री सी मीठी होती है। महाभारत की तरह मधुर, रामायण की तरह रसीली, गीता की तरह गुनगनाने योग्य होती
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Read Moreहिंदी समालोचक ‘खगेन्द्र ठाकुर’ का अवसान ! दिनांक- 13 जनवरी 2020 को हमने बिहार और झारखंड के रहवासी डॉ. खगेन्द्र
Read Moreआज़ादी से पहले हिंदी के लिए कोई समस्या नहीं थी, आज़ादी के बाद हिंदी की कमर पर वार उन प्रांतों
Read Moreआज हम वैश्वीकरण की दुनिया में हैं। वैश्वीकरण शब्द अँग्रेजी के ग्लोबलैजेशन शब्द का पर्याय शब्द है। यह दो शब्दों
Read Moreयुगों युगों से भारतीय साहित्यिक जगत का परचंम लहराता आया है और आज भी लहरा रहा है।आज भी साहित्य से
Read Moreभारतेंदु हरिश्चंद्र जी का जन्म 9 सितम्बर 1850 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में तथा मृत्यु बीमारी से 6 जनवरी 1885
Read Moreहिंदी में नई कहानियों के सर्ज़क -त्रय में श्री मोहन राकेश, श्री कमलेश्वर और श्री राजेन्द्र यादव जाने जाते हैं,
Read Moreराष्ट्रभाषा तो बना नहीं, अब सिर्फ ‘हिंदी दिवस’ का संरक्षण ! हर साल श्रावण पूर्णिमा को ‘राष्ट्रीय संस्कृत दिवस’ मनाया
Read Moreजीवन जन्म से लेकर अंतिम सांस तक चलता ही रहता है , लेकिन यह जीवन कैसा है, सम्मानित है, सुखी
Read Moreबिहार (मनिहारी) से विरार (मुम्बई) तक का सफ़र ! हिंदी फ़िल्मों में पहचान बनाने के सोद्देश्य हाईस्कूली मित्र श्री प्रभाष
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