भाषा-साहित्य

भाषा-साहित्यलेख

बलायचंद मुखोपाध्याय ‘बनफूल’ की निजी जिंदगी और प्रणीत रचना-संसार

मनिहारी से ‘बनफूल जन्मस्थली पुरस्कार’ की शुरुआत हो तथा स्थानीय स्थापित साहित्यकारों को सादरामन्त्रित कर प्रतिवर्ष उन्हें पुरस्कृत भी की

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लालदेव कामत जी की विशिष्ट समीक्षा-शैली 

फुलपरास विधानसभा क्षेत्र, मधुबनी, बिहार के वरिष्ठ लेखक और कवि श्री लालदेव कामत सर ने मैथिली भाषा में तीन पुस्तकों

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हिंदी के विकास में ‘बोझिल व्याकरण’ है बाधक !

मिश्रित हिंदी उपन्यास ‘मैला आँचल’ की हिंदी ‘पंडित कामता प्रसाद गुरु’ की हिंदी नहीं है, किन्तु एक सर्वेक्षण में यह

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भाषा-साहित्यलेख

दो हिंदी उपन्यासों ‘सूअरदान’ और ‘गोदान’ में स्पृहणीय अंतर

हिंदी लेखक रूपनारायण सोनकर की स्वानुभूति (भटकटैया, हंस, नवम्बर 2019) है, जिनमें उनके द्वारा रचित वैज्ञानिकी फ़िक्शन ‘सूअरदान’ से चुराई

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पद्मभूषण डॉ. बनफूल की जन्मभूमि में उसे नहीं जानते युवा चेहरे

‘भुवन शोम’, ‘हाटे बजारे’ आदि राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार प्राप्त बांग्ला उपन्यासों के लेखक डॉ. बलायचंद्र मुखोपाध्याय ‘बनफूल’ की जन्मभूमि कटिहार

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