भाषाई और सांस्कृतिक संकट की विषम स्थितियां
देश में भाषा का अनुत्तरित सवाल पिछले 70 सालों से उत्तर की प्रतीक्षा में अपनी प्रासंगिकता खोता जा रहा है
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Read Moreआज मैं कानपुर के तुलसी उपवन में हूं। अब से 36 साल पहले इस उपवन की स्थापना पं. ब्रदीनारायण तिवारी
Read Moreचीन हमें आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर ही मात देने की तैयारी नहीं कर रहा है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से
Read Moreजिन भावों में हित की भावना समाहित हो वही साहित्य है तथा उन भावों को शब्दों में पिरोकर प्रस्तुत करने
Read Moreआज हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं, जहाँ विश्व एक बिंदू में सिमट गया है। इस बिंदू के आसपास
Read Moreहिन्दी प्रान्तों के लोग भी अगर हिन्दी को अपना लें तो इसे किसी अन्य भाषा-भाषी का मुखापेक्षी होने की ज़रूरत
Read Moreमुझे आज भी याद आते हैं वे दिन जब हमारे शहर में कवि सम्मेलन और मुशायरा होता था । कवियों को
Read Moreहिंदी विरोधी ट्वीटर कैंपेन #NammaMetroHindiBeda (हमारी मेट्रो, हम नहीं चाहते हिंदी) के बाद दो मेट्रो स्टेशनों चिकपेट और मैजेस्टिक के
Read Moreदोहा विषम चरण में ४+४+३+२ या ३+३+३+२+३ =१३ सम चरण =३+३+२+३ या ४+४+३=११ विषम चरणान्त लघु दीर्घ [१,२] सम चरण
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