साहित्य सृजन करना,और साहित्य में जीना बिलकुल अलग बात है,बाल कहानीकार श्री टिकेश्वर सिन्हा जी,इन बातों में यदि कोई मेल खाता है तो वह है ,साहित्य में जीना।श्री सिन्हा सर जी वास्तव में साहित्य के लिए जीते हैं।चौबीस घंटे चौबीस पहर,सिर्फ और सिर्फ साहित्य के लिए समर्पित रहते हैं। इनके दूसरे पहलू की बात करें […]
पुस्तक समीक्षा
सबरस समाहित अद्वितीय कृति है ‘निहारिका’
कवि सम्मेलन यात्रा से मैं लौटकर रीवा पहुंचा ही था कि देश के तटस्थ रचनाकार कवि उपेन्द्र द्विवेदी जी का फोन आया कि अल्प प्रवास पर रीवा आया हूं शीघ्र ही राजस्थान निकलना है।मैं बिना समय गवाएं उपेन्द्र जी से मिलने पहुंचा तो एक गर्मजोशी भरी मुलाकात के बाद उन्होंन अपनी एक अद्वितीय व दूसरी […]
‘तितली है खामोश’ : पुरातन और आधुनिक समन्वय का सार्थक दोहा संकलन
सत्यवान सौरभ हरियाणा के जुझारू एवं जीवटवाले लेखक और कवि हैं। खुशी की बात है कि उनका रचनाकार जिंदगी के बढ़ते दबावों को महसूस करता हुआ, उनसे लड़ने की ताब रखता है, उनसे संघर्ष करता है। हाल ही में उनका ‘तितली है खामोश’ दोहा संकलन प्रकाशित हुआ है। 725 दोहों का यह संकलन अनूठा है […]
साहित्य की सड़ांध को उजागर करनेवाला उपन्यास
हिंदी साहित्य का आसमान कुटिल साहित्यकारों, पक्षपाती आलोचकों और मूर्ख संपादकों से गंधित है I जिन साहित्यकारों से सहृदय होने की अपेक्षा की जाती है वे अपनी कुटिल चाल से राजनीतिज्ञों को भी मात देने की क्षमता रखते हैं I हिंदी में एक से बढ़कर एक धनशोधक, यौन शोषक और पाखंडी साहित्यकार विराजमान हैं जो […]
आदिवासी समाज और साहित्य चिंतन : साहित्य की विविध विधाओं की अभिव्यक्ति
डॉ जनक सिंह मीना और डॉ कुलदीप सिंह मीना के संपादन में सद्यःप्रकाशित पुस्तक ‘आदिवासी समाज और साहित्य चिंतन’ में भारत के आदिवासी समाज और उनकी संस्कृति का बहुआयामी विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है I इस पुस्तक में विविध दृष्टिकोण से आदिवासी समाज के लोकजीवन का आकलन किया गया है I पुस्तक में विभिन्न विषयों […]
सिमट गये संवाद : यथार्थ से मुठभेड़
जिस साहित्यकार के साहित्य में अपने समय की संवेदना व्यक्त नहीं होती उसका लेखन शीघ्र काल-प्रवाह में विलीन हो जाता है I हिंदी और बज्जिका के सशक्त हस्ताक्षर हरिनारायण सिंह ‘हरि’ के साहित्य में समकालीन सामाजिक और राजनैतिक जीवन अपनी समस्त विडम्बनाओं एवं खूबियों के साथ अभिव्यक्त हुआ है I उन्होंने छोटी–छोटी घटनाओं को आधार […]
बहुरंगी उपन्यास है जैसे थे
आज जब हम हिंदी साहित्य में पाठकों की कमी का दुखड़ा रोया करते हैं तो ऐसे में किसी उपन्यास का दूसरा संस्करण और वह भी मात्र 2 साल में आना इस दुखड़े को खारिज करता है। लेकिन शर्त है कि वह कृति रोचक और मनोरंजक शैली में लिखी गई हो। इस संदर्भ में ‘जैसे थे’ […]
ब्रह्मपुत्र से सांगपो : एक सफरनामा
नैसर्गिक सौंदर्य, सदाबहार घाटी, वनाच्छादित पर्वत, बहुरंगी संस्कृति, समृद्ध विरासत, बहुजातीय समाज, भाषायी वैविध्य एवं नयनाभिराम वन्य-प्राणियों के कारण देश में अरुणाचल का विशिष्ट स्थान है । लोहित, सियांग, सुबनश्री, दिहिंग इत्यादि नदियों से अभिसिंचित अरुणाचल की सुरम्य भूमि में भगवान भाष्कर सर्वप्रथम अपनी रश्मि विकीर्ण करते हैं I इसलिए इसे उगते हुए सूर्य की […]
सामान्य जीवन की विशिष्ट कहानियाँ
हिंदी के वरिष्ठ कथाकार नवनीत मिश्र की कहानियां नई संवेदना और नए तेवर से युक्त हैं I मिश्र जी की भाषा में एक जादुई आकर्षण है जो अभिनव भाव जगत से पाठकों का साक्षात्कार कराता है I इनकी भाषा का लालित्य पाठकों को मोहित करता है I नवनीत मिश्र के कहानी संग्रह ‘मेरी चयनित कहानियाँ’ […]
‘मुझे सब याद है’ में समरसता का संदेश
लोकजीवन से खाद–पानी, रस–राग और मिट्टी की सोंधी गंध ग्रहण कर अपनी कथाकृतियों को आकार देनेवाले हिंदी के वरिष्ठ कथाकार जयराम सिंह गौर की औपन्यासिक कृति ‘मुझे सब याद है’ में अद्भुत पठनीयता है I अपनी रोचकता के बल पर यह उपन्यास पाठकों को आरंभ से अंत तक बांधे रखता है I उपन्यास का केंद्रीय […]