भारत नदियों का देश है। नदियों पर घाट होते हैं। इन घाटों पर नदी के किनारे रहनेवाले गाँववासी पानी का उपयोग अपनी ज़रूरत के अनुसार करते हैं। कुछ कपड़े धोते हैं तो कुछ पाप। कपड़े धोने से नदी का पानी अशुद्ध हो जाता है और पाप धोने से अपवित्र। देश में नदियों के स्वच्छता अभियान […]
हास्य व्यंग्य
कट,कॉपी,पेस्ट : अपना काम बैस्ट!
कट,कॉपी और पेस्ट आज के कंप्यूटर युग के लिए नए नहीं हैं। जो लोग कंप्यूटर और मोबाइल चलाने का अल्प ज्ञान भी रखते हैं ,वे भी इन तीन शब्दों से सुपरिचित हैं। सुपरिचित ही नहीं, बल्कि वे उसे बख़ूबी भुना भी रहे हैं। ज़ुबान के गूंगे भी सुमधुर गीत गुनगुना रहे हैं। महफ़िल में गज़ब […]
खट्टा-मीठा: हाय रे हाय मैंने देखा…
एयरकंडीशंड डिब्बों में हजारों किलोमीटर की ‘पैदल’ यात्रा करके मैं कश्मीर पहुँचा। वही कश्मीर जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है। मेरे स्वागत में चारों ओर भीड़ हो गयी थी। उसी भीड़ में एक समूह की तरफ इशारा करके किसी ने मुझे बताया कि ये जेहादी आतंकवादी हैं। मैंने उनको ध्यान से देखा, उन्होंने भी […]
वे आउट ऑफ स्टेशन हैं!
दिल दिया है जां भी देगें ऐ वतन तेरे लिए। ऐसे गाने अकसर किसी राष्ट्रीय दिवस पर बजते हैं। आज सोसायटी में भी गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी थी। गाना वहीं बज रहा था। इसे मनाने कार्यालय जाने के लिए मैं तैयार बैठा ड्राईवर की प्रतीक्षा में था। ये गीतकार भी न, भावनाओं से खूब […]
व्यंग्य – कविता में कविता कहाँ है?
धड़ल्ले से कवियों के सम्मेलन हो रहे हैं और बराबर होते भी रहेंगे।कवि हैं,तो उनके सम्मेलन तो होंगे ही।ये अखिल भारतीयता के स्तर से नीचे तो हो नहीं सकते। कोई विराट कवि- सम्मेलन हो सकता है ,किंतु आज तक एक भी बैनर ऐसा नहीं देखा या सुना गया ; जिस पर ‘लघु कवि सम्मेलन’ अथवा […]
हास्य-व्यंग्य : कान से ली, जुबान से दी
निंदक औऱ निंदा समाज के आवश्यक तत्त्व हैं। इनके बिना समाज में गति नहीं आती। इसीलिए महात्मा कबीरदास ने सैकड़ों वर्ष पहले कहा था: ‘निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल होत सुभाव।। ‘ ‘निंदा रस’ एक ऐसा रस है, जो मानव मात्र में एक अनिवार्य तत्त्व की तरह विद्यमान है। […]
व्यंग्य – चुगली रस
वर्तमान युग की भागम भाग और संघर्षों से भरी ज़िन्दगी में जहां लोगों के पास अपनों की तो छोड़िए,अपने लिए ही समय नहीं है।फुरसत के चंद लम्हें क्या होते हैं,इसको परिभाषित करना आज शायद ही किसी को आता हो।आज हर कोई दूसरे से आगे बढ़ना चाहता है, कम समय में अधिक पाना चाहता है और […]
खट्टा-मीठा: उनका सुपरहिट भाषण
उनको भाषण देने का शौक है। कोई मौका हो या न हो, पर वे भाषण जरूर देते हैं। वे प्रायः दूसरों के लिखे हुए भाषण पढ़ते हैं, पर कई बार अपने मन से भी बोल देते हैं। वे बोलते पहले हैं और सोचते बाद में हैं। कई बार तो उन्हें यही पता नहीं होता कि […]
दोषी कोई और है, मैं नहीं
इस असार संसार में एक मात्र निर्मल प्राणी यदि कोई है, तो वह मनुष्य ही हो सकता है।इस बात को सिद्ध करने के लिए मनुष्य से अच्छा प्रमाण मिलना सम्भव नहीं है।उदाहरण के लिए यदि आपसे कोई गलत, अनैतिक,अनुचित, असामाजिक, अवैध,या देश,कानून औऱ समाज की दृष्टि में गलत कार्य जाने या अनजाने में हो जाता […]
जन विमुख जनतन्त्र
छब्बीस जनवरी को फिर से मनाया जाएगा गणतन्त्र दिवस। ठीक वैसे ही जैसे पाँच महीने पहले मनाया गया था स्वाधीनता दिवस। ये दोनों हमारे जन्म से बहुत पहले से मनाए जा रहे हैं। शायद आप भी न जन्में हों या नन्हें-मुन्ने रहे हों। सच की दस्तक भी नहीं जन्मा था। यकीनन नहीं जन्मा था। हमने […]