डॉ. लक्ष्मी नारायण ‘सुधांशु’
हिंदी साहित्य में डॉ. नगेन्द्र के बाद ‘काव्य में अभिव्यंजनावाद’ को समृद्ध करनेवाले और कोई समालोचक हैं, तो वह है–
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Read Moreघड़ी की सुई एक बजा रही थी ,नींद आँखों से कोसों दूर ।बावड़ा मन किसी निश्चय की घड़ी की तलाश
Read Moreकभी सोचता हूं कि कुछ नया नायाब लिखूं जो भी अब तक लिखा सब पुराना पढ़ा पढ़ाया था पर क्या
Read Moreजया की बेटी जयंती का जन्मदिन था। रात्रि में बारह बजे व्हाट्सएप स्टेटस नहीं डाला। फेसबुक पर भी कुछ पोस्ट
Read Moreफेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हॉट्सएप, ट्वीटर…. अपने आप में ‘कॅरोना’ वायरस हैं ! कोई मुकम्मल ‘हीरो’ नहीं होता, कोई मुकम्मल ‘विलेन’ नहीं
Read Moreभारत में धर्म की कोई कमी नहीं ! यहाँ लोगो को रोटी चाहिए ! विवेकानंद कहिन । ×××× मज़हब वही
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