डी.टी सी. (छप्पय छंद)
डी.टी सी. की बस में चढ़कर, अपनी शामत आई, मैं हंसने की इच्छा रखता, आती रोज रुलाई. आती रोज रुलाई,
Read Moreडी.टी सी. की बस में चढ़कर, अपनी शामत आई, मैं हंसने की इच्छा रखता, आती रोज रुलाई. आती रोज रुलाई,
Read Moreमहंगाई बढ़ती रही, जैसे कोई बाढ़, अफसर लेते ही रहे, जनसंख्या की आड़. जनसंख्या की आड़, है बढ़ती महंगाई, महंगाई
Read Moreदिल के कोने में सिकुड़ी – सिमटी सी इक ख्वाहिश अक्सर,,, करती है फरियाद दिल से “ऐ” दिल, आज फिर…
Read Moreसुनो सजना… सुनो सजना ! सुरमई शाम ने फिर शरारत भरी,,, साजिश की है। सुनहरे सपने दिखा, सतरंगी एहसास जगा,
Read Moreमेरी माँ पूजा-पाठ में ज्यादा ही ध्यान देती थी, उन्हें गृहस्थी से कोई मतलब नहीं, किंतु उनमें वात्सल्य ममत्व कूट-कूट
Read Moreसाहित्यकार, राजनयिक और राजनीतिज्ञ डॉ. शशि थरूर ‘ईसाई’ है, जो न हिन्दू है, न मुस्लिम ! इसलिए वे हिन्दू पाकिस्तान
Read More1. ख़ूनसना बनाम विलासीपना वे तो आशा के साथ है, हम ही निराशाजीवी हैं ! जीवन-मरण से परे मीत-कुमित्र के
Read Moreकितने पत्रकार और संवाददाता हैं, जो BJ व MJ हैं ? गाँव-मोहल्ले व ज़िला स्तर के पचास फीसदी ये कलमकार
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