ओ३म् संसार में जानने योग्य यदि सबसे अधिक मूल्यवान कोई सत्ता व पदार्थ हैं तो वह ईश्वर व जीवात्मा हैं। ईश्वर के विषय में आज भी प्रायः समस्त धार्मिक जगत पूर्ण ज्ञान की स्थिति में नहीं है। सभी मतों में ईश्वर व जीवात्मा के सत्यस्वरूप को लेकर भ्रान्तियां हैं। कुछ मत ईश्वर को मनुष्यों की […]
विधाता की निगाह में
ये जिंदगी गुजर रही है आह में जाएगी एक दिन मौत की पनाह में। कर लो चाहे जितने पाप यहां हो हर पल विधाता की निगाह में। मेरी कमी मुझे गिनाने वाले सुन शामिल तो तू भी है हर गुनाह में। छल प्रपंच से भरे मिले हैं लोग दगाबाजी मुस्काती मिली गवाह में। खोने के […]
बाल लघुकथा – मयंक का बदलाव
अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं नजदीक आ चुकी थी, परंतु मयंक अपनी पढ़ाई को छोड़ मोबाइल व लैपटॉप पर गेम खेलने में मस्त था | गेम खेलने से समय बचता तो उसे टेलीविजन पर कार्टून, सीरियल देखने में निकाल देता | देर रात तक इलेक्ट्रिक दुनिया में खोया रहकर सुबह देर से जागता, इसलिए कभी ठीक से […]
उड़ ले पंक्षी मुक्त गगन में
तेरी खुशी में आज मगन में। उड़ ले पंक्षी मुक्त गगन में।। बचपन तेरा घुटकर बीता। मजबूरी में दूध था पीता। बंधन इतने किए आरोपित, साहस और उत्साह है रीता। छोड़ रहा अब खुले चमन में। उड़ ले पंक्षी मुक्त गगन में।। बचपन के दिन लौट न पाएं। बचा नहीं कुछ गाना गाएं। इच्छा तेरी […]
ग़ज़ल
हर वक़्त बोझ से मन भारी। लगता मन भर का कन भारी। मन ही चालक है जीवन का, सँभले न रोग तो तन भारी। जब दाल झूठ की गले नहीं, लगता सच का तृन-तृन भारी। कायर तो पीठ दिखाते हैं, लगता उनको हर रन भारी। जब साँपों में विष नहीं भरा, उनको है अपना फन […]
मैं दहेज़ हूँ!
आप सभी लोग मुझे बहुत अच्छी तरह से जानते- पहचानते हैं। प्रायः लोग मुझे ‘दहेज’ के नाम से जानते हैं।दहेज़ एक ऐसी संपति है, जिसे विवाह के समय ,पहले अथवा बाद में लड़की वाले द्वारा लड़के वाले को दिया जाता है। इस बात को इस प्रकार भी कहा जा सकता है,कि लड़के वाले द्वारा लड़की […]
बाल कविता – तुलसी
लाल – हरे तुलसी के पत्ते। लगते तीखे जब हम चखते।। कहती दादी अति गुणकारी। तुलसी-दल की महिमा न्यारी। वात और कफ़ दोष हटाती। हृदय रोग भी शीघ्र मिटाती।। उदर -वेदना, ज्वर को हरती। भूख बढ़ाती, बुद्धि सँवरती।। रोग रतौंधी होता दूर। डालें पत्र – स्वरस भरपूर।। कर्ण-वेदना , पीनस जाती। सूजन को भी हरती […]
सोच बदलो गाँव बदलो
गाँव को गाँव ही रहने दो, इसे शहर न बनाओ । शहर की सुविधाओं को अब गाँव में ही ले आओ। माना शहर में रौनक होती है, मगर गाँव में अमन शान्ति भी होती है गाँव की मिट्टी की खुशबू फिर से ले आओ। गाँव को गाँव ही रहने दो शहर न बनाओ। अपनी सोच […]
खुशियां
मोहनजी अपनी गर्भवती पत्नी को मायके भेज कर मित्र के साथ बाजार में घूम रहे थे। वहाँ मेले का माहौल था। मोहनजी बोले -यार ये लड़कियां न हों तो बाजार फीका लगेगा। फिर वे पार्क गए। फूलों को देखकर उनके श्रीमुख से निकला –यार ये लडकियां और फूल एक समान, महक लुटाती हैं , सुन्दरता […]
सत्य की जयकार होगी
सत्य की जयकार होगी ,झूठ की फिर हार होगी। हर चुनावों में सफल हो ,सत्य की सरकार होगी। झूठ के पिछलग्गुओं की ,अब धुनाई यार होगी । सत्य की अवधारणाएं ,हर जगह साकार होगी। सत्य की गोटी चलेगी ,झूठ की लाचार होगी। झूठ के हर जुल्म पर अब ,सत्य की तलवार होगी।—महेंद्र कुमार वर्मा