एक गुजारिश…
कुछ वक़्त अपने भी साथ बिता कर देखो, अपनों की भी कद्र है तुम्हें यह जता कर देखो। घर की
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Read Moreबियाबान शहर, मौन है सड़कें, कहाँ है आदमी ठहर गयीं जिन्दगी, कैसी है ये दस्तक, कैसा है ये कोरोना, चींटी
Read Moreचलो, आज कोरोना को हराते हैं उठाते हैं कुछ मजबूरियाँ बंद हो जाते हैं कमरों में कुछ दिनों तक ताकि
Read Moreकोरोना ले रहा करवट , बह रही है बयार त्वरित , विस्फोटक होंगे मामले , अगले कुछ दिनों में ,
Read More19 तारिक को जब ये ऐलान किया गया की 22 तारीख को जनता कर्फ्यू होगा जिसे समस्त जनता को हर
Read Moreबाहर भी कोरोना दिखता भीतर भी कोरोना है. जाने कब तक कोरोना का बोझा हमको ढोना है. सुबह-सुबह अख़बारों में
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