ग़ज़ल
आँख से बहती नदी है, क्या अज़ब दीवानगी है। चार दिन की दोस्ती है, चार दिन की ज़िन्दगी है। भूलना
Read Moreआफिस से घर आते ही जैसे घर पर पाँव रक्खा था मोबाईल की घंटी बजनी शुरू “टिऱन टिऱन” रोज़ ऐसे
Read Moreटूटा जो दिल तो दिल को दिलासा नहीं मिला. राँझे को हीर, हीर को राँझा नहीं मिला. सोचा जो दिल
Read Moreनकली सोना असली सोने से कुछ ज़्यादा ही चमक का स्वामी होता है।लेकिन जब नकली से असली पीछे छूटने लगे
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