प्रभात नई
झिलमिल झिलमिल तारें डूबे धरा हुई प्रभात नई दूर क्षितिज अरुणाई फैली लगती जैसे बात नई होने लगा प्रभास रह रह कल-कल स्वर
Read Moreतुम्हीं से बहती है दिल में खुशहाली की एक धारा तुमसे ही तो है रौशन गली आंगन ये चौबारा तुम्ही
Read Moreकभी सूरज कभी चन्द्रमा की तरह,दिखता तू ही तू है खुदा की तरह | उठी नज़रें मेरी जब भी जिस
Read More१. मैं चाहता था तेरा वो आइना किरदार मेरी इसी चाहत ने तुझे पत्थर बना दिया २. तेरी आरजू में
Read Moreदामन में अपने पाप को सहेज न लेना सुखों के बदले जलालत की सेज न लेना उनको भी हक शादी
Read Moreख्वाबों के सारे रंग वो झूठे हुए हैं क्यों शय सारे मेरे नाम से रूठे हुए हैं क्यों क्यों बहारें
Read Moreघर से निकलते ही हमारा सामना ऐसे लोगों से अक्सर हो जाता है जो अपने फनी व्यवहार से जाने जाते
Read Moreएक मित्र ने शंका के माध्यम से पूछा कि क्या आप श्री कृष्ण जी को भगवान् मानते है? मेरा उत्तर
Read Moreभाई भरोसे लाल कई दिन जब मुझ से मिलने आये तो बड़े झुंझलाये हुए थे। मैंने उनकी झुंझलाहट का जानना
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