हे ! राम तुम कहाँ हो ?
हे ! राम तुम कहाँ हो ? धरती के कण-कण में तुम परती के जन-मन में तुम क्षिति-जल-पावक में तुम
Read Moreहे ! राम तुम कहाँ हो ? धरती के कण-कण में तुम परती के जन-मन में तुम क्षिति-जल-पावक में तुम
Read Moreतृण पर ओस-बूँद सी चमकती-छलकती जिंदगी सूर्य की ओजस्वी उष्मा से अस्तित्व बचाने को तड़पती लेकर चंचल चंद्र संजीवनी श्यामल
Read Moreभारत के कम्युनिस्ट पार्टी को कभी “कौशल पार्टी ऑफ इंडिया” के नाम से जाना जाता था। हालांकि जन्म से ही
Read Moreबादल शंका के गूथे गये शंका के बादल विभिन्न विद्याओं से जिनकी मोटी परत के नीचे, दबा दिया गया विश्वास
Read Moreप्रेम करूणा दया और सद्भाव नहीं भूलूंगा कुछ भी हो इंसानियत का भाव नहीं भूलूंगा हमने बुजुर्गों को अपने
Read Moreबदन में थोड़ी सी मिट्टी बचाए; उम्र के मधुमास को पीछे छोड़, टूटे घरौंदे के टुकड़े समेटे; तन के दीपक
Read Moreआज रसोई घर में बड़ी उठा पटक हो रही थी। नन्हा राहुल अपने खिलौने से खेलना छोड़ कर रसोई घर
Read More