ग़ज़ल
रफ़ाकत के वो सब किस्से सुहाने याद आते हैं हमें अब भी मुहब्बत के ज़माने याद आते हैं रोज़ हँसता
Read More“मुक्तकाव्य” वो जाग रहा है हमारी सुखनिद्रा के लिए अमन चैन के लिए सीमा की चौहद्दी के लिए और आप!
Read Moreऊंचे-ऊंचे पर्वत की गोद से निकलता भुवन भास्कर सुनहरी उर्मियां छिटका कर बर्फीली पहाड़ों पर ऐसे चमकतीं,जैसे चांदी की चादर
Read Moreसभी को ईमानदारी शब्द सुनकर मन को शांति मिल जाता है, मैं लोकल अखबार में ज्वाइन कर लिया, सोचा पढ़ाई
Read Moreओ३म् ईश्वर सारे संसार वा ब्रह्माण्ड का स्वामी वा ईश्वर है। वह समी जड़ पदार्थों सहित चेतन जीवों का भी
Read Moreअपनी जन्मभूमि अयोध्या में हूँ फिर क्यूँ अब तक बेघर हूँ आते हैं सब मांगने मुरादें मेरे दर और मैं
Read Moreहे माँ तेरी मोहनी छवि आँखों में बस जाये सुधबुध बिसरा कर मनवा तेरे ही गुण गाये कैसी लगन लगाई
Read More******* स्मृति शेष ******* घावसमय के निठुर बड़े , रिसते हैं प्रतिपल हन कर स्मृति -शेष प्रियवर के अब ,
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