छीजन
”प्रकृति तुम क्यों छीजती जा रही हो?” प्रकृति के उदास-से चेहरे को देखते हुए मनुष्य ने पूछा था. ”तुम पूछ
Read Moreपता नही किस शहर में, किस गली तुम चली गई। मै ढूँढ़ता रह गया,तुम छोड़ गई । पता नही हम
Read Moreनज़र से नज़र न मिलाओ प्रिये यूँ धड़कने मेरी न बढ़ाओ प्रिये। बढ़ने लगें दिलों की बेचैनियाँ हाले दिल भी
Read Moreबचपन में जब हम छोटे होते तो मुँह से कुछ भी ऊलजुलूल निकाल लिया करते थे और फिर माँ का
Read Moreआँखों में सँभालता हूँ पानी आया है प्यार शायद ख़ुशबू कैसी, झोंका हवा का घर में बार बार शायद रात
Read Moreस्वास्तिक भाई के जन्मदिन पर विशेष 1.फूलों में खुशबू, हवाओं में ताज़गी है, नदियों में पानी, पानी में रवानगी है,
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