ग़ज़ल
इश्क का गर सफीर हो जाता । नाम फिर मुल्कगीर हो जाता। जाने कब का अमीर हो जाता। बस ज़रा
Read Moreआज लगी संसार की, झूठी सी ये प्रीत। सच को बस ठोकर मिली, समय हुआ विपरीत।। बदले – बदले लोग
Read Moreमैं एक डिसेबल हूँ और घर में एक रौलेट जिस को तीन पहिओं वाला वाकिंग फ्रेम भी कह सकते हैं,
Read Moreआम आदमी कई दिनों से पानी की कमी से जूझ रहा था। जूझ ही नहीं रहा था बल्कि जुगाड़ भी
Read Moreमौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी कंपनी स्काईमेट के मुताबिक केरल में चार जून को मानसून दस्तक दे सकता है,
Read Moreरक्तदान जिंदगी से जूझ रहे लोगों को नया जीवन प्रदान करता हैं। इसलिए रक्तदान को महानदान व जीवनदान कहा गया
Read Moreदोपहर के दो बज चुके हैं। गली में खामोशी पसरी हुई है। केवल इक्का-दुक्का कुल्फी वाले भइयों की लारी के
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