बृज भाषा

कुण्डली/छंद

कुण्डलियाँ

(बृजभाषा में प्रथम प्रयास) गाड़ी लाडी और की, मन कूँ सदा लुभाय चाहे चोखी आपनी, पर  मन  मानत नाय पर 

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