अनंत पतझरों का सम्राट
उल्लासित है
रंगों की बहार से ,,,,,,
पुष्पोत्सव की मधुर
आगमन से ,,,,,
रंगीन हो चली दिशाएँ भी
हृदय में संजोई हुई
अरुण तरंग से
डाल-डाल,टहनी-टहनी
जगमगा उठी
अनंत उल्लास से
नीले आसमान में भँवरे के
गुंजन गाण से ….
बिखेर दी है पृथ्वी ने अपनी अनुपम छटा
सुहाने रंग-बिरंगे फूलों से
यूं प्रतीत होता है जैसे …..
पृथ्वी ने एक मौन उपहार दिया है
…संगीता
बहुत सुन्दर कविता !
bahut sundar