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आज बिन मौसम की जिद्दी बारिश,बरसी है मेरे आँगन में ……… भिगो गयी सब कुछ…अंदर -बाहर..कुछ न बचा, अब सूखा सा,कहीँ भी…. गीला कर गयी ,उन निशां को,जो रख सँभाले थे, मेरे आँगन और दरों दीवार पर,किसी नौबहार की तरह लोबान सी महकती यादें,आज फिर तरबतर हैं गीली सी, सुखाऊँ कहाँ…कोई जगह ही नही बची,घर […]
दिलखुश जुगलबंदी- 22
खुश होकर खुशियां बांटो और खुशियां बढ़ाओ आओ, बनाये रखें फासले अपने लिये, अपनों के लिये धैर्य और धीरज से फासले बनाए रखना मेरे हमराही, फासलों ने थामी, जीवन डोर है रिश्तों में मधुरता भर दिलों को लाया और करीब है -चंचल जैन ये फासले ही हमारी राहत हैं, ये फासले ही हमारी राहत बनेंगे, […]
विरोध क्यों
देखो हद हो चली वेशर्मी की भारतीय प्रमाणपत्र मिलने का विरोध भी उमर आया वोट की लालच में जहाँ-तहाँ बंद करवाया। पहले आया राशन कार्ड फिर आया वोटर कार्ड पुनः आया आधार कार्ड फिर आया पैन कार्ड किसी ने विरोध न जताया अब भारतीयता का प्रमाण मिलने पर क्यों शोर उमर आया? लोगो की आधी […]
8 thoughts on “तुम्हारी यादें”
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इस प्रशंसनीय रचना के लिए धन्यवाद।
shukriya man mohan ji 🙂
बहुत बढिया। थोडे में ही बहुत कुछ कहा है आपने।
bahot shukriya Rajiv upadhyaay ji.
shukriya raajiv upadhhayay ji
वाह वाह !
dhanywaad Vijay ji
shukriya vijay ji