पता नही
रह रह कर व्ही ख्याल क्यों आ जाते हैं
पता नही
जिन्हें चाहा था मोहब्बत मानकर
वो मिले एक दोस्त बनकर
फिर भी दिल में एक मलाल सा क्यों रहता है
पता नही
प्यार में तड़पने का दर्द क्या होता है
क्या वो कभी समझ पाएंगे
पता नही
रह रह कर आधी रातों को
गहरी नींदों से जागने का दर्द क्या होता है
क्या वो कभी जान पाएंगे
पता नही
हमने तो उनकी दोस्ती को भी पलकों पे सजाया है
प्यार को तिलांजलि देकर
उनको हर पल उन्ही के तरीके से बहलाया है
क्या वो कभी यह अहसास समझ पाएंगे
पता नही
काश उन्हें पता भी न चले
की कितना मुश्किल होता है जीना
जब अपने प्यार की खातिर
पड़ता है अकेले ही कुछ अनजान आंसुओं को पीना
और हम
कब तक खुद को काबू में रख पाएंगे
पता नही
पता नही
पता नही
बहुत खूब .
वाह वाह ! बहुत ख़ूब !!