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नए ज़माने के नवयुवकों, यूँ मेरी पहचान न मिटाओ तुम, मेरा स्थान मेरा ही रहने दो, उस जगह न किसी और को बिठाओ तुम। कल तक पुस्तकालयों की शोभा थी मैं, न उन पर धूल जमाओ तुम, बचा लो वज़ूद मेरा इस जहाँ में, कर रही फ़रियाद हाथ जोड़ तुमसे मैं आज। माना आगे बढ़ना […]
सौगात
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपको वसंत पंचमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. पेशे खिदमत है आपके लिए वसंत पंचमी का सुहानी सौगात. आपकी लिखी आत्मकथा का चौथा भाग आपकी ही नज़र है मेरी कहानी-4. बताइएगा, केसर वाले नारियल के लड्डू कैसे बने हैं.
2 thoughts on “मेरी कहानी – भाग 3 (गुरमेल सिंह भमरा)”
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सुन्दर एवं प्रसंशनीय। सादर।
अति सुंदर.