वादियों की शहनाई बनके गरजता है सावन,
प्रेमियों की खुशी बनके छलकता है सावन,
वर्षों से गोरी बैठी जो पीया मिलन की आस में,
उस विरहन के आँसू बनके बरसता है सावन।
-दीपिका कुमारी दीप्ति
वादियों की शहनाई बनके गरजता है सावन,
प्रेमियों की खुशी बनके छलकता है सावन,
वर्षों से गोरी बैठी जो पीया मिलन की आस में,
उस विरहन के आँसू बनके बरसता है सावन।
-दीपिका कुमारी दीप्ति
लिए तिरंगा आ गया ,भारत का गणतंत्र सारे मजहब एक हैं, फूंक रहा यह मंत्र ।। प्रेम भाव सबसे रखो ,करो मान सम्मान समता का विचार हो ,कहता यही विधान ।। बंधुत्व की हो भावना, हो सभी खुशहाल वे सरहद भी याद हो ,जहां वतन के लाल ।। इंद्रधनुष में समाए ,जैसे कई कई रंग […]
बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत ! क्या पता? क्या है बुना ? नई भोर ने गीत !! माफ़ करे सब गलतियां, होकर मन के मीत ! मिटे सभी की वेदना, जुड़े प्यार की रीत !! जो खोया वो सोचकर, होना नहीं उदास ! जब तक साँसे हैं मिली, रख खुशियों की आस […]
श्रद्धा से ही कीजिए, निज पुरुखों को याद। श्रद्धा ही तो श्राद्ध की, होती है बुनियाद।। — आदिकाल से चल रही, जग में जग की रीत। वर्तमान ही बाद में, होता सदा अतीत।। — जीवन आता है नहीं, जब जाता है रूठ। जर्जर सूखे पेड़ को, सब कहते हैं ठूठ।। — जग में आवागमन का, […]