विधाता छ्न्द : राखी
मापनी -१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ बहन का प्यार है राखी जहाँ नित मर्म कहता है लगाया प्राण की बाजी हुमायूँ
Read Moreमापनी -१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ बहन का प्यार है राखी जहाँ नित मर्म कहता है लगाया प्राण की बाजी हुमायूँ
Read Moreकुर्बानियों के बाद का अंजाम तिरंगा । हो जाए न तुमसे कहीं बदनाम तिरंगा ।। सड़कों पे जुर्म की
Read Moreअंदाज कातिलों के बेहतरीन बहुत हैं । कुछ शख्स इस शहर में नामचीन बहुत हैं ।। वो
Read Moreओ३म् आर्य विद्वान अनूप सिंह जी ने 29 जून सन् 1994 को देहरादून में एक आर्यबन्धु श्री रामेश्वर प्रसाद आर्य
Read Moreवाह रे नई पीढी तूने तो शर्म की परिभाषा ही बदल दी सादगी, सादापन बन गया गवारपन धीरे-धीरे हो रहे
Read Moreराखी की पावन बेला है, भूल न जाना बहिना को. आ पाओ या ना आ पाओ, भूल न जाना बहिना
Read Moreचंदामामा, तुम भी किसी विवाहित बहिन के भाई हो, तभी तो भांजे-भांजियों के मामा कहलाए हो, आज कितने प्यारे लग रहे
Read Moreयह स्नेह सूत्र ज्यों है पवित्र इज्जत रखना सब इष्ट मित्र बहना सबकी ही प्यारी है, वह मेरी या कि
Read More